नई दिल्ली: भारत सरकार ने आज सामान्य वित्तीय नियम 2017 में संशोधन किया, ताकि उन देशों के बोली लगाने वालों पर प्रतिबंध लगाया जा सके जो भारत के भू-भाग के साथ सीमा साझा करते हैं। संशोधन, भारत की प्रतिरक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा समेत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित मामलों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। उक्त नियमों के तहत, व्यय विभाग ने भारत की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक खरीद पर एक विस्तृत आदेश जारी किया है।
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आदेश के अनुसार, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले ऐसे देशों का कोई भी बोली लगाने वाला वस्तु, सेवाओं (परामर्श सेवाओं और गैर-परामर्श सेवाओं सहित) या कार्य (टर्नकी परियोजनाओं सहित) से सम्बंधित किसी भी सरकारी खरीद में बोली लगाने का पात्र होगा, यदि बोलीदाता सक्षम प्राधिकरण के साथ पंजीकृत है। पंजीकरण के लिए सक्षम प्राधिकरण, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा गठित पंजीकरण समिति होगी। विदेश और गृह मंत्रालय से क्रमशः राजनीतिक और सुरक्षा मंजूरी अनिवार्य होगी।
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इस आदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और वित्तीय संस्थान, स्वायत्त निकाय, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) और सरकार या इसके उपक्रमों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी की परियोजनाएं शामिल हैं। राज्य सरकारें भी राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत सरकार ने संविधान की धारा 257(1) के प्रावधानों के तहत राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है कि राज्य सरकार और राज्य उपक्रम आदि भी सरकारी खरीद के लिए इस आदेश को लागू करें। राज्य स्तर पर सार्वजनिक खरीद के लिए सक्षम प्राधिकरण का गठन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा लेकिन राजनीतिक और सुरक्षा मंजूरी आवश्यक होगी।
31 दिसंबर 2020 तक कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए चिकित्सा आपूर्ति की खरीद सहित कुछ सीमित मामलों में छूट प्रदान की गई है। एक अलग आदेश द्वारा उन देशों को पूर्व पंजीकरण की आवश्यकता से छूट दी गई है, जिन्हें भारत सरकार ऋण सुविधा (लाइन ऑफ़ क्रेडिट) देती है या विकास सहायता प्रदान करती है। नए प्रावधान सभी नए निविदाओं पर लागू होंगे। पहले से आमंत्रित निविदाओं के संबंध में, यदि योग्यता के मूल्यांकन का पहला चरण पूरा नहीं हुआ है, तो नए आदेश के तहत ऐसे बोलीदाता जो पंजीकृत नहीं हैं, को अयोग्य माना जाएगा। यदि इस चरण को पार कर लिया गया है, तो सामान्यतया निविदाओं को रद्द कर दिया जाएगा और प्रक्रिया नए सिरे से शुरू की जायेगी। आदेश सार्वजनिक खरीद के अन्य रूपों पर भी लागू होगा। यह आदेश निजी क्षेत्र द्वारा की जाने वाली खरीद पर लागू नहीं होगा।