आवारा और हिंसक पशुओं के मामले में जनहित याचिका, अवमानना पर सरकार ने पेश किया माफीनामा, अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को

आवारा और हिंसक पशुओं के मामले में जनहित याचिका, अवमानना पर सरकार ने पेश किया माफीनामा, अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को

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  • Publish Date - September 28, 2019 / 03:04 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

कोरिया। आवारा और हिंसक पशुओं के भटकने के मामले में लगी एक जनहित याचिका पर सरकार को माफीनामा प्रस्तुत करना पड़ा। याचिका में कहा गया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत 1 वर्ष तक राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया और ना ही आवारा और हिंसक पशुओं को रोड से हटाने के लिए कोई व्यवस्था की। इस मामले की अगली सुनवाई अब 1 अक्टूबर को होगी।

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बता दें कि चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने वर्ष 2016 में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका पेश कर मांग की थी कि पूरे प्रदेश में आवारा और हिंसक पशु जो रोड में भटकते हैं, उनका निराकरण किया जाए। इस संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 10 अगस्त 2018 को राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि प्रदेश में आवारा और हिंसक पशुओं का निराकरण किया जाए।

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इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं होते देख छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की विशेष सचिव अमरमेलमंगई डी को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका पेश किया। जिसमें कहा गया कि आवारा पशुओं के लिए तमाम अधिनियमों के विपरीत छत्तीसगढ़ में प्रत्येक गली, मोहल्ले, कस्बा और शहर में आवारा और हिंसक पशु जैसे कुत्ता, गाय, बैल, भैंस, सूअर आमतौर से सड़कों और रास्तों पर घूमते हुए नजर आते हैं। इन आवारा पशुओं से अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं जिससे जान-माल की अपूरणीय क्षति होती है।

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इस प्रकरण की सुनवाई में 29 जुलाई 2019 को राज्य सरकार के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में बताया कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया है। प्रदेश में कहीं भी आवारा और हिंसक पशु नहीं हैं। इसके बाद 14 सितंबर 2019 को छत्तीसगढ़ सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के विशेष सचिव की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत कर कहा गया कि राज्य सरकार ने नरवा गरवा घुरवा बारी योजना आरंभ किया है और इस योजना में गोवंश को रखा जाना है। विशेष सचिव ने अपने शपथ पूर्वक उत्तर में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से क्षमा याचना भी किया।

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आरटीआई कार्यकर्ता ने इस उत्तर का विरोध किया याचिकाकर्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के इस योजना में केवल गोवंश को ही इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है जबकि आवारा और हिंसक पशुओं में कुत्ते, सूअर आदि भी शामिल हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस संबंध में अधिवक्ता बी पी सिंह को न्याय मित्र बनाया है। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर 2019 को रखी गई है।

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