रायपुर। कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते लागू लॉक डाउन के दौरान ग्रामीणों को अब सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मजदूरी की राशि अब बीसी सखी के माध्यम से यह राशि गांव में ही उन्हें मिल रही है। ये बीसी सखियां ज्यादा बुजुर्ग, दिव्यांग और अक्षम लोगों के घर पहुंच कर उन्हें पेंशन की राशि प्रदान कर रही है। इन बीसी सखियों द्वारा लेनदेन के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों का समुचित पालन किया जा रहा है, ताकि कोरोना के संक्रमण से बचाव हो सके।
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इसके लिए बीसी सखी द्वारा अपने मुंह को ढंककर रखने के अलावा ग्राहकों को एक एक मीटर की दूरी पर लाइन बनाने को प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही बॉयोमेट्रिक लेनदेन होने के कारण सभी ग्राहकों के हाथ और मशीन के हर लेनदेन के पहले और बाद में सैनिटाइजर से साफ किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा कोरोना महामारी के दौरान महिला समूह सदस्य, किसानों और मजदूरों के खाते में निश्चित रकम जमा कराई जा रही है, निश्चित ही ये बीसी सखियां इन हितग्राहियों की राशि आहरण में काफी अहम रोल अदा करेंगी।
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गांव-गांव तक बैंकिग सुविधा पहुंचाने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत वर्तमान में प्रदेश में 1522 महिलाएं बीसी सखी के रूप में गांवों में सेवाएं दे रही हैं और अगले वर्ष तक इनकी संख्या 3000 तक करने का लक्ष्य है।
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बीसी सखी की नियुक्ति से लोगों को छोटी-छोटी राशियों के लेन-देन के लिए बार-बार बैंक नहीं जाना पड़ता है और इससे बैंकिंग सुविधाएं घर-घर तक पहुंच रही है। बैंक आने-जाने में लोगों के लगने वाले धन, श्रम और समय की भी बचत हो रही है और बैंकों पर भीड़ का दबाव भी कम है। ‘आपका बैंक – आपके द्वार’ के ध्येय से सरकार औसतन चार से पांच ग्राम पंचायतों के लिए एक बैंक सखी नियुक्त का ध्येय रखते हुए कार्य कर रही है। बीसी सखी के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत आजीविका कार्यों में लगीं स्वसहायता समूह की महिलाएं भी अपना वित्तीय लेन-देन गांव में ही कर सकेंगी।
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बैंक सखी एंड्राइड मोबाइल, सिम कॉर्ड और बायोमीट्रिक डिवाइस के साथ गांव-गांव जाकर मोबाइल बैंकिंग यूनिट के रूप में सेवाएं दे रही है। बीसी सखी के रूप में कार्यरत महिलाओं को उनकी सेवाओं के एवज में उनके द्वारा लोगों को किए गए भुगतान के अनुसार कमीशन मिलता है। एक वित्तीय लेन-देन पर कमीशन की अधिकतम सीमा 15 रूपए निर्धारित है।