भाटापारा। किसानों के धान को न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदने के लिए सरकार के नये आदेश से किसानों मे खलबली मच गई है। अब किसानों के खेतों में पहॅुच कर पटवारी किसानों का पंजीयन करेंगे। वहीं अब धान के रकबे का सत्यापन करवाने सोसायटी के चक्कर लगाने पड़ेगें।
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सरकार ने अब किसानों के धान को न्यूनतम मूल्य में खरीदने के लिए पंजीयन की प्रक्रिया को जटिल कर दिया है। जिला सहकारी बैंक रायपुर द्वारा जारी किये गए एक आदेश से किसानों के बीच दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है। आदेश की जटिलता को लेकर किसानों में खलबली मची हुई है। पहले की स्थिति में किसान अपने धान को सोसायटी में बेचने के लिए अपनी परची को दिखा कर कृषि भूमि एवं अन्य भूमि का पंजीयन करा कर आसान प्रक्रिया के माध्यम से पंजीयन कराके सरकार को धान बेच देते थे।
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अब नये आदेश के अनुसार अब किसानों को बोये गए कुल रकबा का खसरा नंबर दर्ज कराना होगा एवं इसके साथ ही पटवारी द्वारा सत्यापित सूची के अनुसार रकबे का संशोधन कर मिलान करने के बाद पटवारी के हस्ताक्षरित सूची अपलोड की जाएगी । वहीं इस नियम से पटवारियों की मनमानी एवं भ्रष्टाचार के अंदेशे से भी इन्कार नही किया जा सकता। अपने खेतों के रकबे व पंजीयन कराने के लिए अब सोसायटी के चक्कर किसानों को काटना पड़ेगा।
सत्यापित सूची बनाने पटवारी किसानों के खेतों में जाकर निरीक्षण करेंगे। जिसके लिए पटवारी के आने के इंतजार में किसान परेशान होंगे। वहीं पटवारी के द्वारा निरीक्षण की प्रकिया करने से एक दिन मे 2 से 3 एकड़ ही पटवारी खेतों के रकबे का सत्यापन कर सकता है जिसके कारण समय के साथ साथ इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है जिससे किसानों का मानना है कि पहले की प्रक्रिया पंजीयन के सही एवं किसान के हितों वाली थी।
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