नसबंदी के फैसले पर मंत्रियों की अलग-अलग राय, तुलसी सिलावट ने कही समीक्षा कराने की बात, तो सज्जन सिंह ने बताया सही फैसला

नसबंदी के फैसले पर मंत्रियों की अलग-अलग राय, तुलसी सिलावट ने कही समीक्षा कराने की बात, तो सज्जन सिंह ने बताया सही फैसला

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  • Publish Date - February 21, 2020 / 08:33 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

उज्जैन: परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के आदेश को लेकर जनता में दूर मंत्रियों में ही संशय की स्थिति है। जहां एक ओर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट इस आदेश पर जोर जबरदस्ती कर नसबंदी नहीं करवाने की बात कह रहे हैं, तो लोक निर्माण विभाग और पर्यावरण मंत्री ने नसबंदी के फैसले को सही करार दिया है।

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नसबंदी के फैसले पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि नसबंदी के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं कि जाएगी। इस फैसले पर पहले समीक्षा की जाएगी, फिर लागू किया जाएगा। वहीं, मंत्री सिलावट ने यह भी कहा है कि नसबंदी को लेकर अगर कोई शिकायत आती है तो कार्रवाई भी की जाएगी।

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वहीं, दूसरी ओर मंत्री सज्जन सिंह वर्मा नसबंदी के फैसले की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि देश में नसबंदी करने की नौबत नहीं आती, अगर 1975 में इंदिरा गांधी की बात को मान लिया जाता। देश में आज जनसंख्या दोगुनी नहीं होती।

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गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने अपने एक आदेश में कहा है कि ‘प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता कम से कम 1 व्यक्ति की नसबंदी कराए’। इसके लिए एमपी के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आदेश का पालन करने को कहा है। आदेश का पालन नहीं होने पर एक महीने का वेतन काटा जाएगा। साथ ही कार्यकर्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का भी प्रस्ताव बनेगा। कार्यकर्ता को साल में न्यूनतम 5 से 10 नसबंदी कराना अनिवार्य है।

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फरमान में कहा गया है कि जो भी हेल्थ वर्कर 2019-20 में नसबंदी के लिए एक भी आदमी को जुटाने में विफल रहे, उनका वेतन वापस लिया जाए और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त दे दी जाए। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में केवल 0.5 प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी करवाया है।

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