भोपाल। मध्य प्रदेश में पार्षदों के जरिये महापौर चुने जाने के राज्यपाल की मंजूरी के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पार्षदों के खरीद फरोख्त की आशंका जताई है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा है कि दल-बदल रोकने के लिए भी सरकार अध्यादेश लाए। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में बदलाव के लिए लाए गए अध्यादेश से पार्षदों की ख़रीद-फरोख्त बढ़ेगी।
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भार्गव ने कहा कि पार्षदों की ख़रीद-फरोख्त रोकने के लिए सरकार को नगरीय निकायों में भी दल बदल कानून लागू करना चाहिए। इसके लिए भी सरकार अध्यादेश लाए। गोपाल भार्गव ने कहा कि सरकार के इस अध्यादेश लागू होने से प्रदेश के तमाम लोकप्रिय और आर्थिक रुप से कमजोर गरीब लोगों के प्रति सहानुभूति है,जो वर्षों से राजनीति के क्षेत्र में जनसेवा कर रहे हैं।
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ऐसे वे सभी लोकप्रिय नेता महापौर अध्यक्ष पद के माध्यम से जनता की सेवा करने की इच्छा रखते थे वे अब सरकार के इस अध्यादेश से अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। गोपाल भार्गव ने कहा कि भारत में शायद मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य है जहां पर जनता से सीधे अध्यक्ष और महापौर चुनने की व्यवस्था है। और इसके साथ ही अगर चुना हुआ जनप्रतिनिधि भ्रष्ट, निकम्मा और अलोकप्रिय हो तो उसे वापिस बुलाने का अधिकार राइट टू रिकॉल भी मध्यप्रदेश में सिर्फ बीजेपी शासन में लागू हुआ। जो कि दुनिया के ताकतवर देश अमेरिका और यूरोप के देशों से एक कदम आगे बढ़कर क्रांतिकारी निर्णय था।
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उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार के इस अध्यादेश से जनप्रतिनिधियों में निरंकुशता बढ़ेगी, क्योंकि एक ओर चुने गए जनप्रतिनिधी मनमानी करेंगे। वहीं दूसरी ओर शासन सिर्फ गिने चुने लोगों को साधकर सत्ता में बने रहेगी। और महापौर, अध्यक्ष पार्षदों को खुश करने में लगे रहेंगे।
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