छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में कैबिनेट गठन की कवायद, दिल्ली में होंगे नाम फायनल, नाथ-बघेल की होगी चर्चा

छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में कैबिनेट गठन की कवायद, दिल्ली में होंगे नाम फायनल, नाथ-बघेल की होगी चर्चा

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  • Publish Date - December 20, 2018 / 04:43 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

रायपुर/भोपाल। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल गठन की कवायद तेज हो गई है। इसी सिलसिले में दोनों राज्यों के मुखिया कमलनाथ और भूपेश बघेल दिल्ली में राष्ट्रीय नेतृत्व से चर्ता करेंगे। बघेल मंत्रियों की संभावित सूची लेकर गुरुवार को दिल्ली जा रहे हैं, तो कमलनाथ भी गुरुवार रात तक दिल्ली जाएंगे। वे शुक्रवार को दिल्ली में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर वरिष्ठ नेता एके अंटोनी से चर्चा करेंगे। दोनों मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद पहली बार दिल्ली जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंहदेव भी दिल्ली रवाना हो चुके हैं।

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बताया जा रहा है कि दोनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के लौटने के बाद एक-दो दिन में या संभवत: 24 दिसंबर तक मंत्रिमंडल का गठन हो जाएगा। कमलनाथ और एके अंटोनी के बीच दिल्ली में होने वाली चर्चा को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इसी के आधार पर कांग्रेस के गुटीय संतुलन को स्थापित कर कांग्रेस की एकजुटता को कायम रखा जाएगा। निर्दलियों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके बाद कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों को अंतिम अनुमोदन के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे।

इधर, कांग्रेस आलाकमान पहले ही प्रदेश कांग्रेस को यह संकेत दे चुका है कि मंत्रिमंडल में ऐसे ही चेहरे शामिल करें, जिसकी बेदाग छवि हो और साथ ही वरिष्ठता भी हो। यह लगभग तय है कि कमलनाथ का मंत्रिमंडल छोटा होगा, जिसमें 15 से 20 सदस्य ही होंगे। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस आलाकमान ने वरिष्ठ नेता एके अंटोनी को मध्यप्रदेश में नेता चयन के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।

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इधर, छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल के साथ बतौर कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू का शपथ ग्रहण भी हो गया। अब बचे 10 मंत्रियों के चयन ने कांग्रेस की मशक्कत बढ़ा दी है। यहां भी 24 दिसंबर के पहले मंत्रियों के नाम तय होंगे। 13 सदस्यों वाले छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री मंडल के लिए कई दिग्गज कतार में हैं। इनमें ऐसे नेता भी शामिल हैं, जो 5 से ज्यादा बार के विधायक हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि सभी को महत्व मिले- यह संभव नहीं, इसलिए मंत्री पद के लिए संभागों के साथ जातीय समीकरणों पर फोकस है ताकि हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिल सके।