झीरम हमले की जांच करेंगे जस्टिस प्रशांत मिश्रा, 11वीं बार बढ़ा आयोग का कार्यकाल.. देखिए

झीरम हमले की जांच करेंगे जस्टिस प्रशांत मिश्रा, 11वीं बार बढ़ा आयोग का कार्यकाल.. देखिए

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  • Publish Date - July 28, 2019 / 02:41 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

बिलासपुर। झीरम हमले की जांच के लिए गठित आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। जस्टिस प्रशांत मिश्रा का एकल सदस्यीय आयोग अब झीरम कांड के 8 अतिरिक्त बिंदुओं पर जांच करेगा। आयोग ने सुनवाई करते हुए नए बिंदुओं वाली अधिसूचना का प्रकाशन 15 दिन में 4 राष्ट्रीय और 6 स्थानीय समाचार पत्रों में कराने के निर्देश दिए हैं। प्रकाशन के 15 दिन के भीतर कोई भी इससे जुड़ी जानकारी या सूचना शपथ पत्र के साथ आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।

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इसी अवधि में प्रदेश कांग्रेस कमेटी और राज्य सरकार की तरफ से भी पक्ष रखा जा सकेगा। बस्तर की झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। इस दौरान पीसीसी के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दंतेवाड़ा के तत्कालीन विधायक महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 31 जनप्रतिनिधियों, आम नागरिकों व सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। राज्य सरकार ने 28 मई 2013 को जांच आयोग अधिनियम के प्रावधानों के तहत हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। आयोग को तीन माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, लेकिन निर्धारित अवधि में जांच पूरी नहीं होने पर विभिन्न तारीखों में आयोग के कार्यकाल में 10 बार वृद्धि की जा चुकी है। अब 11वीं बार 27 फरवरी 2019 से लेकर 31 दिसंबर 2019 तक की वृद्धि की गई है।

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वहीं, राज्य सरकार ने यह कहते हुए कि पूर्व में सौंपे गए जांच बिंदुओं के तहत घटना के सभी पहलुओं के तथ्य और पृष्ठभूमि स्पष्ट नहीं हो रहे हैं, जांच के लिए अतिरिक्त 8 बिंदुओं को शामिल किया है। अधिसूचना के अनुसार इसका उद्देश्य घटनाक्रम स्पष्ट रूप से स्थापित हो सके और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान स्थापित करना है। 21 जनवरी 2019 को इसकी अधिसूचना प्रकाशित की जा चुकी है। आयोग को 31 दिसंबर 2019 तक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपनी होगी। जरूरत पड़ने पर आयोग किसी संस्था व विशेषज्ञ की मदद ले सकेगा। आयोग में सुनवाई के दौरान पीसीसी की तरफ से एडवोकेट सुदीप श्रीवास्तव और राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव उपस्थित थे। अब 31 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।

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ये हैं जांच के नए बिंदु –
महेंद्र कर्मा की सुरक्षा की समीक्षा क्या प्रोटेक्शन रिव्यू ग्रुप ने की थी।
-कर्मा द्वारा मांगी गई अतिरिक्त सुरक्षा पर क्या कार्रवाई की गई।
-नंदकुमार पटेल को क्या अतिरिक्त सुरक्षा दी गई थी।
-पूर्व के बड़े हमलों की समीक्षा कर कोई कदम उठाया गया।
-यूनिफाइड कमांड की नक्सल विरोधी ऑपरेशन में भूमिका।
-25 मई 2013 को बस्तर में कुल कितना पुलिस बल था?
-क्या माओवादी बंधक की रिहाई के बदले अपनी मांग मनवाते हैं?
-एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के लिए क्या समझौते किए गए?

पूर्व केंद्रीय मंत्री का निधन

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