कुपोषित बच्चों का बढ़ता आंकड़ा, जानिए कलेक्टर के निर्देश, जुलाई से होगी कार्रवाई | Increasing figure of malnourished children, know the collector's instructions, will take action from July

कुपोषित बच्चों का बढ़ता आंकड़ा, जानिए कलेक्टर के निर्देश, जुलाई से होगी कार्रवाई

कुपोषित बच्चों का बढ़ता आंकड़ा, जानिए कलेक्टर के निर्देश, जुलाई से होगी कार्रवाई

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:58 PM IST
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Published Date: June 15, 2019 3:50 am IST

ग्वालियर। सूबे की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी के गृह जिले ग्वालियर में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। न्यूट्रिशन एंड रि-हेबिलिटेशन सेंटर में तय सीमा से ज्यादा बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। वहीं समाजिक संस्थाएं अब मंत्री और सरकारी महकमे को घेरने में लगी हैं। कलेक्टर ने मॉनटिरिंग के लिए SDM को लगाने के साथ ही अल्टीमेटम भी दिया है। एक जुलाई के बाद कोई भी बच्चा NRC के अलावा कुपोषित मिला, तो विभागीय अफसरों पर कार्रवाई होगी।

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ग्वालियर का थाटीपुर न्यूट्रिशन एंड रि-हेबिलिटेशन सेंटर यानी NRC में 22 गंभीर कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। उधर पिछले मई के महीने में 840 आंगनबाड़ियों ने रिपोर्ट ही नहीं की। बच्चों से लेकर व्यवस्था तक का ब्यौरा विभाग को नहीं दिया। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आंगनबाड़ियों में क्या चल रहा होगा। इसी का नतीजा है कि कुपोषित बच्चों की संख्या घट नहीं, बल्कि बढ़ रही है।

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ग्वालियर जिले के शहरी कुपोषण केंद्र में जून महीने में ही अब तक 23 बच्चे आए हैं। वहीं मई महीने में 38 और अप्रैल में 11 बच्चे इलाज के लिए भर्ती कराए गए हैं। ग्वालियर जिले में कुल 1458 आंगनबाड़ी है। इनमें से सिर्फ 608 ने ही अपनी रिपोर्ट भेजी है। इन आंगनबाड़ियों में एक लाख 38 हजार 612 बच्चे हैं। यानी हर दिन 3 लाख 37 हजार रुपए से ज्यादा का पोषण आहार आता है। 18 लाख 38 हजार 235 की जनसंख्या वाले जिले के अधिकांश ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कुपोषण की स्थिति भी लगातार बढ़ती जा रही है और पोषण आहार में अनियमितताओं की बीते एक साल में ही 100 से अधिक शिकायतें हो चुकी हैं।

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आंगनबाड़ियों के रूटीन से लेकर बच्चों की डाइट,उपस्थिति सबका कुछ अता पता नहीं है। कलेक्टर ने सभी SDM से कहा है कि वे कुपोषित बच्चों की मॉनिटरिंग करें। एक जुलाई के बाद कोई भी बच्चा NRC के अलावा कुपोषित मिला, तो विभागीय अफसरों पर कार्रवाई होगी। लिहाजा अफसर लाख दावे करें कि आंगनबाड़ियों में बेहतर काम हो रहे हैं, लेकिन ये आंकड़े बताते हैं कि हालात बेकाबू हो रहे हैं। सवाल ये है कि बिगड़ती कुपोषण की स्थिति ठीक कैसे होगी.?