हाईकोर्ट का फैसला, क्षणिक आक्रोश में की गई हत्या गैर इरादतन, उम्र कैद की सजा 10 साल में बदली

हाईकोर्ट का फैसला, क्षणिक आक्रोश में की गई हत्या गैर इरादतन, उम्र कैद की सजा 10 साल में बदली

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  • Publish Date - August 2, 2019 / 05:18 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने क्षणिक आक्रोश में किए गए हमले में मौत होने को हत्या के बजाए गैर इरादतन हत्या माना है। इसके साथ ही आरोपियों की उम्र कैद की सजा को 10 वर्ष के कारावास में परिवर्तित किया है। आरोपित 2011 से सजा काट रहे हैं। गौरेला थाना क्षेत्र के ग्राम आमानाला उपरटोला निवासी सुखपाल सिंह पर बड़ा भाई बेचूराम पत्नी से अवैध संबंध का संदेह करता था।

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इस बात को लेकर बेचूराम ने चार जनवरी 2011 को सुखपाल को अलग रहने की बात कहते हुए गाली गलौच की थी। विवाद बढ़ने पर सुखपाल ने बड़े भाई बेचूराम के हाथ से कुल्हाड़ी छीनकर उसके सिर पर एक वार कर दिया। इससे बेचूराम मौके में ही गिर गया। रिपोर्ट पर गौरेला पुलिस ने सुखपाल व उसके चचेरा भाई छोटन को धारा 302, 34 के तहत गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया। सत्र न्यायालय ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की।

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अपील पर जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस गौतम चोरड़िया की डीबी में सुनवाई हुई। कोर्ट के सामने यह बात सामने आई कि आरोपी अपने साथ में कोई हथियार लेकर नहीं आया था। गुस्सा आने पर उसने दौड़ा रहे बड़े भाई के हाथ से कुल्हाड़ी लेकर सिर्फ एक वार किया था। उसका उद्देश्य हत्या करना नहीं था। वहीं गवाहों के बयान से यह भी साबित नहीं होता है कि दोनों भाई के बीच पहले से कोई रंजिश थी। हत्या का उद्देश्य भी नहीं है। कोर्ट ने आरोपियों को हत्या के बजाय गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया है। इसके लिए आरोपियों को धारा 302 के बजाए धारा 304 भाग दो के तहत 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। आरोपित साढ़े आठ वर्ष से जेल में बंद हैं।

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