बिलासपुर। कोरोना को लेकर हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला जारी कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत न हो। चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने आज अपना फैसला जारी करते हुए कहा है कि उद्योगपतियों से सरकार सामंजस्य बनाए, जिससे ऑक्सीजन और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद मिले।
हाईकोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं में से एक कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष विजय केशरवानी की हस्तक्षेप याचिका पर कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड होने में देरी हो रही है। ऐसे में सरकार व्यवस्था करे कि मरीज को उसकी रिपोर्ट 24 घंटे में भेजी जा सके, मसलन अस्पताल मरीजों को आरटीपीसीसी रिपोर्ट वॉट्सएप या ईमेल के जरिए भेज सकते हैं ताकि उनका इलाज जल्द से जल्द शुरू हो सके।
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कोर्ट ने ऑक्सीजन, एंटीजन, आरटीपीसीआर व दूसरे जांच की दर निर्धारित करने के भी आदेश सरकार को दिए है। वहीं बेड को लेकर वेबसाइट तैयार करने का आदेश सरकार को जारी किया गया है, ताकि लोगां को उनके जिले में मौजूद अस्पतालों में उपलब्ध बेड की जानकारी मिल सके। गौरतलब है कि कोर्ट में बीते दिनों वकील पलाश तिवारी ने मांग रखी थी कि रेलवे की ओर से तैयार 111 आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल मरीजों के लिए किया जाए। इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य और रेलवे की बैठक हो गई है। राज्य को अभी इन कोच की जरूरत नहीं है। जब आवश्यकता होगी, तब रेलवे को राज्य के नोडल अधिकारी अपनी जरूरत के हिसाब से प्रतिवेदन देंगे।
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इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को महामारी अधिनियम के तहत पूरी शक्ति मिली हुई है। वे महामारी रोकने के लिए महामारी अधिनियम 2005 व 2020 के तहत निर्णय लें। वही हाईकोर्ट ने कहा है कि जेल में बंद कैदियों को संक्रमित होने की स्थिति में पैरोल पर छोड़ने के लिए निचली अदालत में आवेदन दिया जा सकता है। कोर्ट ने सभी विषयों पर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है।