लखनऊ, 8 जून (भाषा) कोरोना वायरस महामारी के चलते उत्पन्न चुनौतियों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार राज्य विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध महाविद्यालयों के स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष के छात्रों को बिना परीक्षा दिये ही प्रोन्नत करेगी जबकि हर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा होगी।
मंगलवार को जारी एक सरकारी वक्तव्य के अनुसार जिन पाठ्यक्रमों में प्रथम वर्ष के छात्र पिछले सत्र में बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में प्रोन्नत हो चुके हैं उन्हें इस बार दूसरे वर्ष की परीक्षा देनी होगी। प्रोन्नत मानक के आधार पर विश्वविद्यालयों से 18 जून तक कार्ययोजना देने को कहा गया है।
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बयान में उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा के हवाले से कहा गया, ”जहां स्नातक प्रथम/तृतीय (विषम) तथा स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं हो चुकी हैं, वहां स्नातक द्वितीय/चतुर्थ (सम) सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर के अंक प्रथम/तृतीय सेमेस्टर के अंकों के आधार पर अंतर्वेशन से तथा मिड-टर्म/अन्तरिम मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं।”
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उच्च शिक्षा विभाग भी संभाल रहे उप मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों के लगभग 41 लाख छात्र-छात्राओं की वार्षिक एवं सेमेस्टर परीक्षाओं को सम्पन्न कराये जाने में कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधान के दृष्टिगत छात्र-छात्राओं को प्रोन्नत किये जाने अथवा उनके वार्षिक परिणामों को घोषित किये जाने के सम्बन्ध में राज्यपाल/कुलाधिपति तथा मुख्यमंत्री से विचार विमर्श के बाद दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
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उन्होंने कहा कि कोविड के संक्रमण के खतरों को देखते हुए परीक्षाओं का दायरा सीमित कर दिया गया है। शर्मा ने कहा कि प्रायोगिक परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाएगी और उनके अंकों का निर्धारण लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाएगा। इसके अलावा मौखिक परीक्षा ऑनलाइन कराई जाएगी जबकि परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण विश्वविद्यालय स्तर से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 31 अगस्त, 2021 तक परीक्षाफल घोषित किया जाएगा और शैक्षणिक सत्र 2021-22 को 13 सितंबर, 2021 से प्रारंभ किया जाएगा।