कोरिया। देने वाले किसी को गरीबी न दे, मौत देे दे मगर बदनशीबी न दे। यह गीत तो आपने कई मर्तबा सुना होगा। लेकिन आज इस पंक्ति का एक एक शब्द उस समय सच होता दिखाई दिया जब एक बदनशीब और लाचार पिता अपने मृत बेटे को देखने और उससे मिलने के लिए 9 दिनों तक इंतजार करता रहा।
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एक पिता को मृत बेटे के पास पहुंचने में 9 दिन इसलिए लग गए क्योंकि वह गरीब था, उसके पास इतने पैसे नही थे कि वह दूसरे प्रदेश में मृत हुए बेटे के पास जा सके, उसकी यह बदनशीबी ही थी कि 9 दिनों तक उसे अपने मृत बेटे से मिलने के लिए इंतजार करना पड़ा। अपने जिगर के टुकड़े से मिलने का इंतजार करना मौत से भी बड़ा दुखदायक था।
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मामला कोरिया जिले के डोहडा गांव का है। जहां एक गरीब ग्रामीण का बेटा जो मुंबई कामन करने 8 साल पहले गया था। लेकिन फिर वह लौटकर नही आया। कुछ आया तो वह था संदेश वो भी उसकी मौत का। मुंबई पुलिस ने उसके मौत की सूचना दी थी। लेकिन 8 दिन बीत गए ग्रामीण इतना गरीब था कि वह मुबंई अपने बेटे के शव के पास भी नहीं पहुंच सका। आखिरकार स्थानीय विधायक अंबिका सिंहदेव की पहल पर सीएम हाउस ने इस दिशा में कदम उठाया और फिर हवाई यात्रा से लाचार पिता को मुंबई पहुंचाया गया। और एक लाचार पिता अपने मृत बेटे से मिल सका।
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