महिला तहसीलदार की फेसबुक पोस्ट पर छलका दर्द, कलेक्टर सहित आला अधिकारियों को बताया भ्रष्ट, प्रशासन में मचा हड़कंप

महिला तहसीलदार की फेसबुक पोस्ट पर छलका दर्द, कलेक्टर सहित आला अधिकारियों को बताया भ्रष्ट, प्रशासन में मचा हड़कंप

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  • Publish Date - August 12, 2019 / 12:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

श्योपु​र। सुर्खियों में रहने वालीं तहसीलदार अमिता सिंह तोमर की फेसबुक पर की गई एक पोस्ट ने श्योपुर के प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। चाटुकारिता और भ्रष्टाचार बनाम शासकीय सेवा नामक शीर्षक से फेसबुक पर की गई 1087 शब्दों की पोस्ट में तहसीलदार अमिता सिंह ने प्रदेशभर के नायब तहसीलदारों को भ्रष्ट और चाटुकार बता दिया है। उन्होंने श्योपुर कलेक्टर को भी आड़े हाथों लिया है।

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अमिता सिंह ने अपनी पोस्ट में सरकार तंत्र को भी सड़ा हुआ बता दिया। उन्होंने लिखा है कि अब तो प्रशासनिक अकादमियों में ही भ्रष्टाचार व चाटुकारिता की ट्रेनिंग दी जा रही है। तहसीलदार अमिता सिंह ने यह पोस्ट इसलिए की है। क्योंकि, कलेक्टर ने उन्हें किसी तहसील की जिम्मेदारी न देते हुए निर्वाचन विभाग में पदस्थ कर दिया है। अपनी पोस्ट में अमिता सिंह ने यह बात भी लिखी है और पूछा कि निर्वाचन विभाग में तहसीलदार की पोस्ट नहीं होती, अब उन्हें वेतन कहां से मिलेगा।

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तहसीलदार की कुर्सी न मिलने पर अमिता सिंह ने श्योपुर कलेक्टर से लेकर पूरी व्यवस्था को जमकर कोस डाला। यह पोस्ट प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है, कुछ वरिष्ठ अफसरों ने तहसीलदार अमिता सिंह को फटकार तक लगा डाली, लेकिन उन्होंने अपनी पोस्ट से एक शब्द तक नहीं हटाया और कहा कि, इससे आगे की बातें अगली पोस्ट में लिखूंगी। अमिता सिंह की हाल ही में पदस्थापना श्योपुर में हुई है, जहां 05 तहसील हैं। इनमें से दो तहसीलदारों पर तहसीलदार पदस्थ हैं वो भी दूरस्थ तहसील है। मुख्यालय पर नायब ही तहसीलदार बने बैठे हैं!

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अमिता सिंह को निर्वाचन शाखा का प्रभारी बना कर कलेक्टर ऑफिस में बैठा दिया गया है, जहां कि तहसीलदार का कोई पद ही नहीं, अमिता सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर एक और सस्पेंस बनाकर रखा है, उन्होने ने यह लिखा है कि, थोड़ी सी कुछ मानसिक क्लेश और व्यथा से राहत मिली है शेष फिर लिखूंगी क्योंकि नियमों के अंतर्गत इस पोस्ट का स्पष्टीकरण भी देना होगा न। उसके लिए भी मानसिक रूप से खुद को तैयार कर रही हूं? क्योंकि सच कड़वा होता है जिसका स्वाद सबको पसंद नहीं आता।

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