कोरोना वायरस टेस्ट बेहद जटिल प्रक्रिया, थोड़ी भी असावधानी से फैल सकता है संक्रमण- डीएमई

कोरोना वायरस टेस्ट बेहद जटिल प्रक्रिया, थोड़ी भी असावधानी से फैल सकता है संक्रमण- डीएमई

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  • Publish Date - April 15, 2020 / 04:01 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:50 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एस.एल. आदिले ने जगह-जगह कोरोना वायरस के टेस्टिंग लैब की स्थापना की मांग के संबंध में विभिन्न प्रचार माध्यम तथा सोशल मीडिया में प्रचारित हो रही खबरों का उल्लेख करते हुए कहा है कि इसको लेकर जन सामान्य में यह भ्रांति है कि इसका टेस्ट अन्य पैथालॉजिकल टेस्ट की तरह सामान्य लैबोरेटरी में हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 वायरोलॉजी लैब स्थापना के नियम बेहद कड़े है। इसके लिए प्रशिक्षित स्टॉफ के साथ ही आवश्यक अधोसंरचना तथा विदेश निर्मित अत्याधुनिक मशीनों की आवश्यकता होती है।

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डीएमई डॉ. आदिले ने आगे कहा कि आम लोगों की यह धारणा है कि कोविड टेस्ट लैब खून, पेशाब जैसी मामूली जांच प्रयोगशाला है, जिसे कही भी स्थापित किया जा सकता है। इतना ही नहीं इस भ्रांति के चलते लोग विभाग से उम्मीद कर रहे हैं कि सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में तत्काल कोविड टेस्टिंग लैब शुरू कर दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड-19 वायरोलॉजी कन्फर्मेशन केवल आरटी-पीसीआर नामक अति अत्याधुनिक मशीन से ही संभव है।

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जिसमें वायरस का जेनेटिक अध्ययन के आधार पर परिणाम प्राप्त किया जाता है। इसके लिए सर्वप्रथम जीवित अथवा मृत कोरोना वायरस के आरएनए को विशिष्ट मशीन द्वारा अथवा मैनुवल रूप से विभिन्न रसायन क्रिया से प्राप्त किया जाता है। इस प्रक्रिया में दो से तीन घंटे का समय लगता है। इसके अलावा प्राप्त सैंपल को विभिन्न प्रकार के शीत सेंट्रीफ्यूजों के माध्यम से अत्यंत सावधानीपूर्वक प्रोसेस किया जाता है तथा अंत में आरटी-पीसीआर के माध्यम से कोरोना वायरस के प्राप्त आरएनए को परीक्षण कर रिजल्ट प्राप्त किया जाता है। जिसमें पुनः 2 से 3 घंटे का समय लग जाता है। एक बार में कुछ सीमित सैंपल ही जांच हेतु लिए जा सकते हैं।

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डीएमई डॉ. आदिले ने बताया कि प्रयोगशाला के लिए विशेष प्रकार की अधोसंरचना भी आवश्यक है, जिसे आईसीएमआर द्वारा निर्धारित किया गया है। समस्त प्रक्रिया एयरशील्ड तथा जीवाणु-विषाणु रहित अति सुरक्षित कमरों में कुशल डॉक्टर तथा टेक्नीशियनों के द्वारा ही सम्पन्न किया जाता है। जिसके लिए उन्हें परीक्षण आरंभ करने से पूर्व सभी प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए हफ्तों गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। इस पूर्ण प्रक्रिया की किसी भी कड़ी में असावधानी, त्रुटि की कोई गुंजाईश नहीं है। जरा सी लापरवाही से कोविड जैसे विषाणु कमरे तथा वातावरण में फैल सकते हैं, जिससे उस प्रयोगशाला में कार्यरत् विशेषज्ञों तथा स्टॉफ के साथ बाहर फैलने पर जन सामान्य के लिए भी अत्यंत घातक साबित हो सकते हैं।

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डॉ. आदिले ने बताया भारत सरकार द्वारा आईसीएमआर के माध्यम से कोविड-19 टेस्ट लैब की स्थापना के लिए कड़े मापदंड बनाये गए है तथा आईसीएमआर के परीक्षण, निरीक्षण एवं सहमति के बैगर किसी भी परिस्थिति में कोरोना टेस्टिंग लैब आरंभ नहीं किया जा सकता है। इस टेस्ट में प्रयोग में लाये जाने वाले अत्याधुनिक उपकरणों की संख्या 12 से 15 है, जो कि विशेष प्रकार के मानक के आधार पर निर्मित होते हैं। टेस्टिंग की अधिकांश मशीनों का निर्माण अमेरिका, जर्मनी एवं नीदरलैंड द्वारा किया जाता है, जिनकी कीमत लगभग तीन करोड़ रूपए है। उन्हें मंगाने के लिए लगभग 3 से 6 माह का समय लगता है। आज के परिवेश में संर्पूण विश्व में लॉकडाउन लागू है इसलिए इन्हें प्राप्त करने में और अधिक समय लगना लाजिम है।