रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के प्रथम परिचयात्मक बैठक में नवनियुक्त सदस्यों का स्वागत किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। देश-दुनिया में इसे सामने लाने की जरूरत है। उन्होंने परिषद के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए छत्तीसगढ़ की संस्कृति के गौरव को आगे लाने के लिए मिलजुल कर तेजी से काम करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद में कला संस्कृति और इससे जुड़ी विधाओं के विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है, जिससे की छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति और साहित्य को देश में नई पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि परिषद के माध्यम से राज्य की प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि पहले छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सल प्रदेश के रूप में थी। नई सरकार के गठन के बाद पिछले तीन वर्षों में किसानों और खेती-किसानी, आदिवासियों के विकास और संस्कृति संरक्षण-संवर्धन के क्षेत्र में बहुत से कार्य हुए हैं, इससे राज्य की तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का निर्माण सांस्कृतिक आधार पर हुआ है।
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परिषद में नवनियुक्त सदस्यों की महती जिम्मेदारी है कि राज्य के सांस्कृतिक पक्षों के सकारात्मक पहलूओं को देश-दुनिया के सामने बेहतर ढ़ंग से प्रस्तुत करने अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि परिषद के कार्यो के बेहतर संचालन के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।
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बैठक में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के उपाध्यक्ष एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को समग्र रूप से आगे बढ़ाने के लिए परिषद के माध्यम से एक नई शुरूआत हो रही है। मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गठित किए गए विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं को एक छत के नीचे समग्र रूप से काम करने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक क्षेत्र में मध्यप्रदेश को जो ऊंचाईयां मिली उसमें छत्तीसगढ़ का बहुत बड़ा योगदान था। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद यहां की संस्कृति को देश में नई ऊंचाई देने के लिए छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक परिषद का गठन किया गया है। इससे राज्य की सांस्कृतिक प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।
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बैठक में खैरागढ़ विश्वविद्यालय की कुलपति पद्म ममता चन्द्राकर, संस्कृति विभाग के सचिव अंबलगन पी., संचालक विवेक आचार्य, कला विशेषज्ञ जयंत देशमुख, नवल शुक्ला, भूपेश तिवारी, योगेंद्र त्रिपाठी, नृत्य विशेषज्ञ सु वासंती वैष्णव, कालीचरण यादव, ललित कुमार, रामकुमार तिवारी, ईश्वर सिंह दोस्त, चित्रकला-मूर्तिकला विशेषज्ञ सु सुनीता वर्मा, नाट्य विशेषज्ञ भूपेन्द्र साहू उपस्थित थे।
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