कोरोना महामारी और कालाबाजारी से लोगों को बचाने की मुहिम, घर में मास्क बनाकर निशुल्क बांट रहा ये परिवार

कोरोना महामारी और कालाबाजारी से लोगों को बचाने की मुहिम, घर में मास्क बनाकर निशुल्क बांट रहा ये परिवार

  •  
  • Publish Date - April 1, 2020 / 11:31 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

महासमुंद। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए 14 अप्रैल तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाकडाउन का ऐलान कर दिया है और भारतवासियों से अपील की है कि कोरोना के संक्रमण को रोकना व भगाना है तो घरों में रहना होगा । इस महामारी के कारण जहाॅ बाजार से मास्क गायब हो गया, वहीं दुकानदार दस रूपये के मास्क को 20 से 30 रुपये में बेचने लगे । इस कालाबाजारी को रोकने व सभी को मास्क उपलब्ध कराने के उद्धेश्य से महासमुंद के एक परिवार ने संकल्प लिया और निःस्वार्थ अपने पैसे से कपड़ा खरीदकर मास्क बनाकर लोगों को बांट रहे हैं ।

ये भी पढ़ें:लॉकडाउन के बीच दो परिवारों में जमकर हुआ विवाद, एक की हत्या से इलाके में फैली सनसनी

महासमुंद नगर के बिजली कालोनी मे रहने वाली लक्ष्मी देंवागन जो गृहणी हैं व उनके पति पवन देवागन जो पेशे से बिजली विभाग में आपरेटर का काम करते हैं एवं पुत्र नमन देवागन जो बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र है । ये पूरा परिवार मास्क के शार्टेज व कालाबाजारी को रोकने व निर्धन लोगों तक मास्क निःशुल्क पहुॅचाने का संकल्प लिया और काम में जुट गये ।

ये भी पढ़ें:सीएम भूपेश बघेल ने अन्य राज्यों के मुख्यमत्रियों को लिखा पत्र, लॉक …

पवन देवागन बाजार से कपड़े लाकर और उसे नाप के अनुसार काटा व लक्ष्मी देवागन से उसे सिलकर उसे मास्क का रूप दिया एवं पुत्र नमन ने उसे एकत्रित कर लोगों तक पहुॅचाने में मदद की । ये परिवार एक दिन में 50 से 60 मास्क तैयार कर लेता है और दो दिन के अंतराल में ले जाकर लोगों को बांट देते हैं । एक मास्क को बनाने में इस परिवार को 3 से 4 रूपये का खर्च आता है । ये परिवार पिछले एक सप्ताह से इस काम में जुटा है और अभी तक 300 से 400 मास्क बनाकर फल वाले, सब्जी वाले के साथ कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट के 34 बच्चियों को बांट चुके हैं ।

ये भी पढ़ें: अब अंतरजिला आवागमन की भी नही होगी अनुमति, बिलासपुर आईजी ने कहा जो ज…

लक्ष्मी देवागन ने मीडिया को बताया कि कोरोना महामारी में दुकानदार मास्क की कालाबाजारी करने लगे और गरीब तपके के लोग मास्क नही खरीद पा रहे थे । उसको देखते हुए हमने ये मास्क बनाकर लोगों को बांटना शुरू किया । इस महिला के पुत्र को जहाॅ माॅ की सहायता करना अच्छा लगता है और उसे खुद को खुशी मिलती है कि उसकी थोडी सी पहल से लोग इस महामारी से बच सकेंगे,वहीं मास्क पाने वाले भी लोग इस कार्य की सराहना कर रहे हैं ।