भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार जा चुकी है, आपसी अतर्कलह की वजह से कांग्रेस ने एक राज्य को खो दिया है, आज ही फ्लोर टेस्ट से पहले कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस के 22 विधायकों का इस्तीफा मंजूर किए जाने के बाद कमलनाथ की सरकार ही नहीं बल्कि कांग्रेस की दो राज्यसभा सीटें जीतने के अरमानों पर पानी फिर गया है, जबकि बीजेपी एक बार फिर अपनी दोनों सीटों को बचाए रखने में सफल रहेगी।
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बात दें कि एमपी की तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी मैदान में हैं, इनमें बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी तो कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस ने फर्स्ट प्रायोरिटी दिग्विजय और सेकेंड पर बरैया को रखा है जबकि, बीजेपी ने फर्स्ट पर सिंधिया और दूसरी पर सोलंकी को रखा है।
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कांग्रेस विधायकों से बगावत के बाद राज्यसभा का गणित बिगड़ गया है, मध्य प्रदेश में कुल 23 विधायकों के इस्तीफा स्वीकार किया गया है, जिनमें कांग्रेस के 22 और बीजेपी 1 विधायक शामिल हैं। इस तरह में मध्य प्रदेश की कुल 230 सीटों में से दो सीटें पहले से रिक्त हैं। इस तरह से कुल 205 सीटें बची हैं। मौजूदा समय में बीजेपी के पास 106 और कांग्रेस के 92 विधायक हैं। इसके अलावा सपा के एक, बसपा के दो और चार निर्दलीय विधायक हैं।
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राज्यसभा के लिए एक सीट जीतने के लिए पहली प्रथम वरीयता के आधार पर कुल 52 वोटों की जरूरत होगी। विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो दो सीटें बीजेपी और एक कांग्रेस को मिलती नजर आ रही हैं। हालांकि, पहले भी बीजेपी के पास दो सीटें और कांग्रेस के पास एक राज्यसभा सीट थी, जिनमें कांग्रेस से दिग्विजय सिंह तो बीजेपी से प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया थे।