इंदौर। रविवार को लॉकडाउन के दिन जहां प्रशासन अनावश्यक बाहर निकल रहे लोगों पर कार्रवाई कर रहा है तो वहीं दूसरी और लोग अब भी कोरोना के जैसे संक्रमण को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कई लोग तो अलग-अलग बहाने बनाकर घरों से निकल रहे हैं । मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर उनसे पूछताछ कर रही है और उन्हें जाने दे रही है । लेकिन संक्रमण को लेकर प्रशासन नहीं आम जनता को खुद ही समझना होगा कि कैसे इस संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए उन्हें घर में रहना आवश्यक है।
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इंदौर शहर में आंकड़ा 600 से 700 तक पहुंच गया है और ऐसे में संक्रमण ने काफी तेज रफ्तार पकड़ ली है । इंदौर के अलग-अलग चौराहे जिसमें रीगल, राजवाड़ा जैसे क्षेत्रों में भी पुलिस अनावश्यक घूमने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, अस्थाई जेल भेज रही है बावजूद इसके लोगों में प्रशासन की सख्ती का डर भी नहीं है। अस्पतालों की यदि हालत देखी जाए तो अस्पताल 70% से ज्यादा भर चुके हैं जिसमें आईसीयू बेड पूरी तरीके से फुल है । पुलिस प्रशासन सख्ती से कार्रवाई कर रहा है लेकिन इस सख्ती का आम जनता पर कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है ।
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इंदौर डीआईजी मनीष कपूरिया का कहना है कि जिला कलेक्टर ने जो गाइडलाइन दी है और जो आदेश जारी किए हैं उसके तहत सभी को नियमों को पालन कराना पुलिस और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है लेकिन संक्रमण को देखते हुए लोगों को भी यह समझना होगा कि वह अपने परिवार और प्रशासन के प्रति की जिम्मेदारी निभाए और अपने घरों में ही सुरक्षित रहें ।