आजादी के 70 साल बाद भी जातिवाद और छुआछूत का दंश
आजादी के 70 साल बाद भी जातिवाद और छुआछूत का दंश
राजिम। शिक्षक को भगवान के समान माना जाता है। जिस प्रकार भगवान अपने बनाये इंसानों में भेद नहीं करते उसी प्रकार शिक्षक के लिए भी ऐसा ही माना जाता है, कि उसकी नजर में उसके सभी छात्र-छात्राएं उसके अपने बच्चों के समान हैं और जिन्हें शिक्षक बिना किसी भेदभाव के समान रूप से प्यार और शिक्षा देगा। लेकिन फिंगेश्वर के शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक शाला की प्रधानपाठिका पर शाला की जाति विशेष की बच्चियों के साथ उसकी जाति को लेकर चोरी का आरोप लगा मारपीट व भेदभाव करने का आरोप लगा है।
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प्रधानपाठिका सरोजबाला सूर्यवंशी पर शाला में पढ़ने वाली देवार जाति की बच्चियों ने संगीन आरोप लगाते हुए शिकायत की है कि वो उनपर रुपए चोरी करने का आरोप लगाकर मारपीट करती हैं। उनकी जाति को निशाना बनाते हुए मध्यान्ह भोजन को लेकर ताना मारने के अलावा दूसरी जाति की बच्चियों को उनके साथ खेलने से मना करती हैं। मामले की जानकारी होने पर बीईओ ने तत्काल असिस्टेंट बीईओ को जांच का जिम्मा सौंप दिया है।
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वहीं इस बात को गम्भीरता से लेते हुए क्षेत्रीय विधायक संतोष उपाध्याय भी बुधवार दोपहर स्कूल पहुंचे और पीड़ित बच्चों के माता-पिता, सम्बन्धित प्रधानपाठिका और स्कूल प्रबंधन के साथ संयुक्त चर्चा करते हुए मामले का निपटारा किया। जिसके बाद अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए पीड़ित पालकों ने भी प्रधानपाठिका के विरुद्ध किसी तरह की कार्यवाही न चाहने का पत्र लिखकर दे दिया। इस प्रकरण में विचारणीय यह है कि ऐसे इक्के-दुक्के उदाहरणों के ही चलते इस बात को बल मिलता है कि समाज में अभी भी छुआछूत व्याप्त है और जब बात भगवान समान शिक्षक के विरुद्ध आती है, तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है।
वेब डेस्क, IBC24

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