फुटपाथ पर कमीज बेचकर चार लोगों का परिवार पाल रही 10 साल की बच्ची, पिता की खिलाई आइसक्रीम बहुत याद आती है

फुटपाथ पर कमीज बेचकर चार लोगों का परिवार पाल रही 10 साल की बच्ची, पिता की खिलाई आइसक्रीम बहुत याद आती है

  •  
  • Publish Date - June 18, 2021 / 01:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

शाहजहांपुर, 18 जून (भाषा)। कोरोना महामारी के दौरान पिता की मौत के बाद छठी कक्षा में पढ़ने वाली 10 साल की ‘माही’ के कंधों पर परिवार के चार लोगों की जिम्मेदारी आ गई है, अब वह सड़क के किनारे पिता की बनायी हुई कमीजें बेंच कर अपने परिवार का गुजारा कर रही है । शहर के ही थाना सदर बाजार अंतर्गत खिरनी बाग मोहल्ले में रहने बाले प्रदीप कुमार (45) अप्रैल माह में कोविड से संक्रमित हो गए थे, उन्हें तीन दिन तक तेज बुखार आया, फिर उन्होंने कोरोना परीक्षण कराया जिसमें वह संक्रमित पाए गए । तब उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया, जहां इलाज के दौरान 30 अप्रैल को ही उनकी मौत हो गई थी।

Read More News:  कब एडजस्ट होगा सिंधिया गुट… सिंधिया गुट की चाहत कब होगी पूरी?

माही ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उसके पापा रेडीमेड शर्ट बनाकर दुकानदारों को बेचने का कारोबार करते थे, घर पर चार सिलाई मशीनें लगी है तथा उन पर कारीगर काम करते थे पापा की मौत के बाद कारीगर भी नहीं आते हैं । माही ने बताया, ‘‘पिता की मौत के बाद घर पर खाने पीने की भी दिक्कत हो रही है, दादा राजकुमार 70 वर्ष के हैं, और उन्हें बीमारियों ने जकड़ रखा है वह बीमार रहते हैं । घर में बूढ़ी दादी तथा मां है ।’’ उसने बताया, ‘‘ऐसे में मैंने पापा का कारोबार संभाल लिया और घर में बनी रखी कुछ रेडीमेड शर्ट को फुटपाथ पर ले जा कर बेचने लगी ।’’

Read More News: पेट्रोल-डीजल के दामों में लगी आग, यहां पेट्रोल 108 तो डीजल 100 रुपए…

माही ने बताया कि उसके पापा उसके लिए रोजाना पेस्ट्री या आइसक्रीम लाते थे, शायद उसके पापा को आभास हो गया था कि अब वह नहीं बचेंगे, इसलिए मरने से पहले भी उन्होंने अपनी बेटी को आइसक्रीम तथा पेस्ट्री मंगाकर खिलाई थी । वह रूआंसी आवाज में कहती है, ‘‘अब कौन पेस्ट्री और आइसक्रीम लाएगा, पापा के जाने के बाद उसका घर ही बिखर गया है, अकेले में पापा की बहुत याद आती है ।”कुछ समाजसेवियों ने इस परिवार की बिजली का बिल तथा अन्य तरीके से मदद की है।

पढ़ें- शारीरिक संबंध बनाने को मजबूर करता था पीटीआई टीचर, छात्रा ने फांसी ल…

जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है, कोरोना से जिले में ऐसे लोगों का विवरण संकलित किया जा रहा है और जो बच्चे अनाथ हो गए हैं या जिनके घर में कमाऊ व्यक्ति की मौत हो गई है उन्हें 18 वर्ष की आयु तक चार हजार रूपये प्रति माह शासन की ओर से दिया जाएगा, यह पैसा बच्चों के अभिभावक को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक टीम कार्य कर रही है जिसे 25 जून तक जो भी प्रकरण आ जाएंगे उनका निस्तारण कर दिया जाएगा । अधिकारी ने बताया कि जो बच्चे पढ़ रहे हैं उन्हें सरकारी स्कूल, कस्तूरबा स्कूल आदि में उनके दाखिले की व्यवस्था भी की जायेगी।