जबलपुर। कोरोना संक्रमण ने स्कूली शिक्षा पर बुरी तरह से ग्रहण लगा दिया है, प्रदेश सरकार ने इस वर्ष स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में 33 फ़ीसदी कटौती का फैसला लिया है। इस फैसले को अभी लागू तो नहीं किया गया है लेकिन इसकी तैयारी शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है और विशेषज्ञों से राय ली जा रही है, पहले चरण में शिक्षकों से ही सुझाव देने के लिए कहा गया है। सरकार को सभी वर्गों से सुझाव मिलने के बाद इस पर अमल करने में आसानी होगी ।
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दरअसल कोरोना संक्रमण के बाद 3 महीने के लॉकडाउन और अनलॉक के बाद भी तेजी से बढ़ते कोरोना पॉजिटिव के मामलों से यह कहना संभव नहीं है कि स्कूलों पर लटके ताले कब तक खुल पाएंगे लिहाजा प्रदेश सरकार ने मौजूदा पाठ्यक्रम में ही 33 फीसदी कटौती की योजना बनाई है। दलीलें दी जा रही है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल यानि सीबीएसई की तर्ज पर प्रदेश सरकार भी अपने पाठ्यक्रम में कटौती कर प्रभावी कोर्स को ही शामिल करेगी।
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जबलपुर के संयुक्त संचालक शिक्षा राजेश तिवारी की माने तो कोर्स में कटौती की योजना पर प्रदेश स्तर पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस पर आखिरी फैसला लेकर इसका एक मसौदा तैयार किया जाएगा, गौरतलब है कि लॉक डाउन की अवधि में 3 माह तक स्कूली बच्चे घरों में कैद रहे और देश में जब अनलॉक लागू हुआ तो संक्रमण के अंदेशे को देखते हुए स्कूलों को नहीं खोला गया है, ऐसी स्थिति में समय तो बीत रहा है लेकिन स्कूल न खुलने से पढ़ाई नहीं हो पा रही है और पाठ्यक्रम जस का तस बना हुआ है।
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स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी पाठ्यक्रम में कटौती से छात्र छात्राओं को किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावना को खारिज कर रहे हैं, उनकी दलील है कि पाठ्यक्रम में उन्हीं विषयों और अध्यायों को शामिल किया जाएगा जिनकी जरूरत छात्र छात्राओं को पड़ेगी।
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