26/11 हमला: पुलिसकर्मियों ने याद किया कि कैसे जान की बाजी लगाकर पकड़ा गया था आतंकवादी कसाब को

26/11 हमला: पुलिसकर्मियों ने याद किया कि कैसे जान की बाजी लगाकर पकड़ा गया था आतंकवादी कसाब को

  •  
  • Publish Date - November 26, 2020 / 03:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:48 PM IST

मुंबई: मुंबई में 26/11 को हुए आतंकवादी हमले के 12 साल गुजर गए हैं लेकिन उस दौरान देश की सुरक्षा और आतंकवादियों से मुकाबला करने वालों को यह कल की बात मालूम पड़ती है। उस दौरान आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने वाली टीम में शामिल भास्कर कदम ने स्मरण किया कि उसे कैसे पकड़ा गया। घटना के वक्त 2008 में डी. बी. मार्ग थाने में विशेष अधिकारी के रूप में तैनात कदम याद करते हैं कि कैसे और किन परिस्थितियों में हमलावर कसाब को पकड़ा गया। यह गिरफ्तारी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे आतंकवादियों से लड़ने में महत्वपूर्ण साबित हुयी।

Read More: UP के सरकारी अस्पताल में स्ट्रेचर पर रखी लाश को नोच रहा था कुत्ता, छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने शेयर किया वीडियो

एक वेबचैनल के साथ साक्षात्कार में कदम ने बताया कि उस वक्त कसाब से पूछताछ में पता चला कि हमला कितना बड़ा है, उसमें कितने लोग शामिल हैं और कैसे हथियारों का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण सूचना से सुरक्षा एजेंसियों को बहुत फायदा हुआ और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और मुंबई पुलिस के संयुक्त अभियान में सभी आतंकवादी मारे गए। वरना मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि हमलों में कितने लोग मारे गए होते।’’

Read More: 100 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए CGPSC ने जारी किया नोटिफिकेशन, देखिए पूरा शेड्यूल

कसाब और उसके साथियों की कार को पकड़ने के लिए गिरगांव चौपाटी पर नाकाबंदी करने वाली 16 सदस्यीय पुलिस टीम में कदम भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों द्वारा हाईजैक की गई कार चेकनाके से करीब 50 फुट की दूरी पर रूकी और वहां से गोलियां चलने लगीं। कदम ने याद किया कि कैसे उस वक्त उन्होंने अपनी सर्विस रिवाल्वर निकाली और कार के ड्राइविंग सीट पर तीन गोलियां चलाई और एक आतंकवादी को मार गिराया। कदम ने कहा, ‘‘दूसरी ओर से एएसआई तुकाराम ओमबाले के साथ आयी टीम ड्राइवर की साथ वाली सीट पर बैठे कसाब को पकड़ने भागी।’’

Read More: शिवराज कैबिनेट की बैठक संपन्न, इन अहम प्रस्ताओं पर लगी मुहर

अधिकारी ने बताया कि ओमबाले ने जैसे ही कसाब को पकड़ा उसने अपनी एके-47 राइफल से गोलियां चलाई और उसने एएसआई के सीने पर वार किया। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पुलिसकर्मी अपनी लाठियों की मदद से कसाब को पकड़ने में कामयाब रहे।’’ कदम ने कहा कि कसाब को जिंदा पकड़ने का फैसला इंस्पेक्टर संजय गोविल्कर का था। उनका मानना था कि वह आतंकवादियों और उनकी योजना के बारे में पुलिस को महत्वपूर्ण सूचना दे सकता है। पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को गोलियां चलाईं और हमले किये। करीब 60 घंटे चले घटनाक्रम में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए।

Read More: सीएम अमरिंदर सिंह बोले- जब तक खुद से इस्तीफा नहीं देती अध्यक्ष रहेंगी सोनिया गांधी, कौन कहता है कि कांग्रेस में लोकतंत्र नहीं है?

हमले में आतंकवाद-विरोधी दस्ता (एटीएस) के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे, सेना के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, मुंबई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त अशोक कामते, वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर और एएसआई तुकाराम ओमबाले शहीद हो गए थे। आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेराय ट्राइडेंट, ताज महल होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस, नरीमन लाइट हाउस सहित अन्य कई जगहों को निशाना बनाया था। सुरक्षा बलों, एनएसजी ने संयुक्त अभियान में नौ आतंकवादियों को मार गिराया। हमले में जिंदा पकड़ा जाने वाला एकमात्र आतंकवादी कसाब था, जिसे चार साल बाद 21 नवंबर, 2012 को फांसी की सजा़ दे दी गई।

Read More: सोनू सूद से मिलने बिहार से मुंबई के लिए साइकिल से ही निकल पड़ा फैन, एक्टर ने बुक करवा दी फ्लाइट की टिकट