युवा नितीश अपने पिता के बलिदानों का बदला चुकाने को तैयार

युवा नितीश अपने पिता के बलिदानों का बदला चुकाने को तैयार

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  • Publish Date - June 24, 2024 / 09:21 PM IST,
    Updated On - June 24, 2024 / 09:21 PM IST

(कुशान सरकार)

नई दिल्ली, 24 जून (भाषा) नितीश रेड्डी ने 12 साल की उम्र में देखा कि उनके पिता मुत्यालु को अपने बेटे के क्रिकेट को प्रभावित नहीं होने देने के लिए नौकरी छोड़ने पर आलोचना का सामना करना पड़ा।

सोमवार को जब रेड्डी को जिंबाब्वे दौरे के लिए भारत की टी20 अंतरराष्ट्रीय टीम में पहली बार शामिल किया गया तो आंध्र के इस 21 वर्षीय ऑलराउंडर को लगता है कि उन्होंने अपने पिता को गौरवांवित करने के अपने लक्ष्य का केवल 50 प्रतिशत ही हासिल किया है।

भावुक रेड्डी ने पीटीआई से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘भारतीय टीम में शामिल होना गर्व की बात है, लेकिन यह सपने का केवल 50 प्रतिशत ही है। यह तभी पूरा होगा जब मैं वह जर्सी पहनूंगा और अपने देश के लिए मैच जीतूंगा। मैं उन लोगों की नजरों में अपने पिता के लिए सम्मान देखना चाहता हूं जिन्होंने कभी मेरी प्रतिभा पर विश्वास करने के लिए उन्हें खरी-खोटी सुनाई थी।’’

विशाखापत्तनम के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले रेड्डी ने नौ साल की उम्र से ही शिविरों में जाना शुरू कर दिया था लेकिन जब वह 12 साल के थे तब केंद्र सरकार के कर्मचारी उनके पिता का तबादला राजस्थान में हो गया क्योंकि उनके शहर से विभाग स्थानांतरित हो गया था।

रेड्डी ने अपने जीवन के सबसे भयावह दौर के बारे में बताया, ‘‘मेरे पिता ने पूछताछ की और पाया कि जिस शहर में हम रहने वाले थे वह मेरे खेल के विकास के लिए बहुत अच्छा नहीं था। मेरे पिता ने मेरी मां से बात करने के बाद नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उन्हें अंतिम भुगतान के रूप में लगभग 20 लाख रुपये मिले और उन्होंने पैसे उधार देने का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उनके कुछ करीबी दोस्तों ने उन्हें धोखा दिया और वह अपनी पूरी कमाई खो बैठे।’’

उन्होंने बताया, ‘‘नौकरी छोड़ने के बाद अपनी कमाई गंवाने के लिए हर तरफ से लोग उन पर टूट पड़े। रिश्तेदारों, पड़ोसियों को कभी भी यह विश्वास नहीं हुआ कि किसी को अपने बेटे की महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ देनी चाहिए।’’

रेड्डी ने कहा, ‘‘मैं उन चर्चाओं को सुन सकता था, 12-13 साल की उम्र में भी। मैं सब कुछ समझता था। यह मैंने खुद से किया वादा था कि केवल एक ही चीज मेरे पिता की प्रतिष्ठा को बचा सकती है – भारतीय टीम में जगह।’’

जब खिलाड़ी कम से कम अंडर-19 राज्य स्तर पर नाम कमा लेते हैं तो बल्ले के प्रायोजक मिल जाते हैं लेकिन पिता के व्यवसाय में नुकसान के बाद शुरुआती दिनों में रेड्डी के पास पैसों की काफी कमी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप यकीन करेंगे कि मेरे जूनियर स्तर के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट की शुरुआत में मेरे पास हर सत्र में केवल एक ही बल्ला होता था। यह अब जितना महंगा नहीं था लेकिन एक अच्छा इंग्लिश विलो फिर भी काफी महंगा था। लकड़ी किनारे से टूट जाती थी, स्वीट स्पॉट पर दरारें आ जाती थी तो मैं उन हिस्सों पर टेप लगाता और खेल जारी रखता।’’

इस साल सनराइजर्स हैदराबाद के लिए 142 के स्ट्राइक रेट से 303 रन बनाने और तीन विकेट लेने के बाद अब चीजें बदल गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘रिश्तेदार और पड़ोसी, जो उस समय आलोचना करते थे, अब चाहते हैं कि हम उनके घर आएं और मेरे पिता की इस तरह का जोखिम उठाने के लिए प्रशंसा करें।’’

सनराइजर्स के कप्तान पैट कमिंस ने उन्हें एक सरल सलाह दी।

विश्व कप जीतने वाले ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने उन्हें सलाह देते हुए कहा था, ‘‘आप एक अच्छे ऑलराउंडर हैं, जिन्हें आईपीएल का उपयोग अच्छा प्रदर्शन करने और जितना संभव हो उतना अनुभव हासिल करने के लिए करना चाहिए।’’

रेड्डी ने कहा, ‘‘लेकिन सनराइजर्स के दो सीनियर खिलाड़ी जिन्होंने वास्तव में कुछ अच्छी तकनीकी जानकारी दी वे हेनरिक क्लासेन और भुवनेश्वर कुमार हैं। क्लासेन ने मुझे मैच की स्थिति और शॉट चयन के बारे में बताया। उनके सभी बिंदु तकनीकी थे और इससे मेरे पावर गेम को मदद मिली।’’

भाषा सुधीर मोना

मोना