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नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के नाम टेस्ट क्रिकेट में 536 विकेट है लेकिन बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी टीम में वाशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा की मौजूदगी के कारण अंतिम एकादश में उनके लिए जगह बना पाना काफी मुश्किल दिख रहा है। श्रृंखला का पहला मैच पर्थ में खेला गया था। तेज गेंदबाजों की मददगार पिच को देखते हुए टीम ने अश्विन और अनुभवी जडेजा की जगह वाशिंगटन को बेहतर बल्लेबाजी के कारण अंतिम एकादश में शामिल किया था। पांच मैचों की इस श्रृंखला के आगामी मैचों में भी अगर पिच से तेज गेंदबाजों के लिए अधिक मदद हुई तो 38 साल के अश्विन के लिए टीम में जगह बनाना काफी मुश्किल होगा। यह तभी संभव है जब टीम को दो स्पिनरों की जरूरत हुई या वाशिंगटन की गेंदबाजी काफी खराब रही। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका (एसईएनए) में प्रदर्शन को पैमाना बनाये तो एकादश में अश्विन से मजबूत दावेदारी जडेजा की दिखती है। जडेजा ने इन देशों में बेहतर बल्लेबाजी की है। भारतीय टीम के पूर्व चयनकर्ता देवांग गांधी ने मौजूदा प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मौजूदा फॉर्म को ध्यान में रखा गया है। भारतीय टीम प्रबंधन एक ऐसी टीम के साथ उतरना चाहता था जो आत्मविश्वास से भरी हो। प्रबंधन पिछले रिकॉर्ड को नहीं देख रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वाशिंगटन ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बेहतर गेंदबाजी की और वह निचले मध्यक्रम में भरोसेमंद बल्लेबाज है। उनका टीम में होना समझ में आता है।’’ दिलचस्प बात यह है कि एसईएनए देशों में अश्विन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2021 में एडिलेड में खेले गये दिन-रात्रि टेस्ट में आया था। उन्होंने इस मैच में ऑस्ट्रेलिया की पारी में 55 रन देकर चार विकेट लिये थे। ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले घरेलू सरजमीं पर न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की श्रृंखला में स्पिनरों की मददगार पिचों में अश्विन सिर्फ नौ विकेट झटक सकें। गांधी ने कहा, ‘‘ ऑस्ट्रेलिया की परिस्थितियों में भारत की गेंदबाजी योजना जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और हर्षित राणा के इर्द-गिर्द घूमेगी। अगर मोहम्मद शमी को बाद में शामिल किया जाता है तो वह भी इसमें होंगे। इसलिए स्पिनर का काम इन तेज गेंदबाजों को थकान से बचाने के साथ रन गति को नियंत्रित करना होगा।’’ अश्विन ने एसईएनए देशों में एक बार भी पारी में पांच विकेट नहीं चटकाये है। उन्होंने इन देशों में 43 मैचों में 83.7 की स्ट्राइक रेट से 71 विकेट लिये है। दूसरी ओर, जडेजा ने 35 मैचों में इसी स्ट्राइक रेट से 52 विकेट हासिल किए हैं। पिछले कई वर्षों से विदेशों में जडेजा को बेहतर बल्लेबाजी कौशल के कारण अश्विन पर तरजीह मिलती रही है। इन देशों में उनके नाम एक शतक और पांच अर्धशतक हैं। उन्होंने लगभग 30 के औसत से रन बनाये हैं। जबकि अश्विन के नाम दो अर्धशतक है। भारत के एक पूर्व दिग्गज टेस्ट खिलाड़ी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘टीम के दो मुख्य स्पिनरों ने पिछले 10 साल में विदेश में अगर सिर्फ एक बार पांच विकेट लिये हैं तो यह समस्या है। जब बल्लेबाजी की बात आती है तो वाशिंगटन इस मामले में दोनों से बेहतर हैं।’’ भारत के इन दोनों अनुभवी स्पिनरों के लिए इस दौरे पर टीम में जगह बनाना काफी मुश्किल होगा। किसी मैच में अगर दो स्पिनरों की जरूरत हुई तो इन हालातों में वाशिंगटन के साथ एकादश में जडेजा को मौका मिलने के काफी ज्यादा आसार है। भाषा आनन्द सुधीरसुधीर
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