नई दिल्ली। राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया की वॉल कहा जाता था। राहुल तकनीक के मामले में तत्कालीन क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ थे। द्रविड के बारे में ये भी के कहा जाता है कि सचिन तेंदुलकर की चकाचौंध की वजह उन्हें वो पहचान नहीं मिल सकी जिसके वो हकदार थे। छ ऐसा ही भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर के साथ भी हुआ । ऐसा कहा जाता है कि सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे दिग्गजों की मौजूदगी में वेंगसरकर की प्रतिभा को वो सम्मान नहीं मिला जिसको वो डिजर्व करते थे। बावजूद इसके दिलीप वेंगसरकर को कोई मलाल नहीं है और वह अपने कैरियर से काफी खुश हैं।
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दिलीप वेंगसकर ने खेला 16 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट
दिलीप वेंगसकर ने बीते सोमवार को अपना 64वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर दिलीप वेंगसरकर ने कहा, ‘जब मैं पीछे देखता हूं तो काफी अच्छा और संतोषजनक सफर रहा। भारत के लिए 116 टेस्ट खेलना सबसे बड़ा संतोष है। इसके अलावा 129 वनडे, विश्व कप जीतना और विश्व चैंपियनशिप जीतना, इसके साथ भारत की कप्तानी, यह शानदार सफर रहा.’>
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दिलीप वेंगसरकर से जब सवल किया गया कि क्या वे भी महसूस करते हैं कि उन्हें वह श्रेय नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। इस पर उन्होंने कहा, ‘यह भाग्य की बात है. आपको कड़ी मेहनत करके ईमानदारी से खेलकर टीम के लिए मैच जीतने होते हैं। यह हर क्रिकेटर का लक्ष्य होना चाहिए. इस तरह से जो भी उपलब्धियां या पहचान मिलती है, आपको श्रेय मिलता है या नहीं, यह सब भाग्य की बात है.’।
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दिलीप वेंगसरकर का एक रिकॉर्ड आज भी अटूट है। वेंगसरकर ने लाडर्स पर तीन शतक लगाए हैं। इंग्लैंड को छोड़ दें तो ऐसा करने वाले वो एकमात्र अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं। इसके अलावा 1970-80 के दशक के सबसे तेज और खतरनाक वेस्टइंडीज आक्रमण के सामने छह शतक जड़ने का कारनामा भी वेंगसरकर कर चुके हैं।
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