उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के संविधान के मसौदे पर आपत्तियों पर गौर किया

उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के संविधान के मसौदे पर आपत्तियों पर गौर किया

उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के संविधान के मसौदे पर आपत्तियों पर गौर किया
Modified Date: April 2, 2025 / 08:31 pm IST
Published Date: April 2, 2025 8:31 pm IST

नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान के मसौदे की धाराओं पर आपत्तियों पर बुधवार को सुनवाई की।

इस मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष राष्ट्रीय खेल विकास संहिता का हवाला देते हुए कहा कि केवल सचिव और कोषाध्यक्ष को ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ (एक निर्धारित अवधि तक महासंघ में कोई पद नहीं संभालना) का पालन करने के लिए कहा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि एआईएफएफ का संविधान राष्ट्रीय खेल संहिता और फीफा नियमों के अनुरूप होना चाहिए।’’

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सुनवाई पर कोई फैसला नहीं लिया गया।

शीर्ष अदालत के निर्देश पर न्यायमूर्ति राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के मसौदे में कुछ आमूल-चूल बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल के दौरान अधिकतम 12 साल तक पद पर बने रहना शामिल है, लेकिन इसके लिए उसे चार-चार साल के अधिकतम दो लगातार कार्यकाल के बाद चार वर्ष तक ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से गुजरना होगा।

मसौदे में कहा गया है कि कोई व्यक्ति 70 वर्ष की आयु के बाद खेल निकाय का सदस्य नहीं रह सकता है।

संविधान के मसौदे के तहत, एआईएफएफ की कार्यकारी समिति में 14 सदस्य होंगे तथा उन सभी पर उम्र और कार्यकाल के नियम लागू होंगे।

इसमें एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष (एक पुरुष और एक महिला), एक कोषाध्यक्ष और 10 अन्य सदस्य होंगे। दस अन्य सदस्यों में दो महिलाओं सहित पांच प्रतिष्ठित खिलाड़ी होंगे।

संविधान के मसौदे में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों को हटाने का भी प्रावधान है जो एआईएफएफ के मौजूदा संविधान में नहीं है।

शीर्ष अदालत ने एआईएफएफ के संविधान को अंतिम रूप देने से संबंधित याचिकाओं पर 25 मार्च को सुनवाई शुरू की थी।

भाषा

पंत सुधीर

सुधीर


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