उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के संविधान को अंतिम रूप देने के लिए सुनवाई शुरू की

उच्चतम न्यायालय ने एआईएफएफ के संविधान को अंतिम रूप देने के लिए सुनवाई शुरू की

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  • Publish Date - March 25, 2025 / 08:20 PM IST,
    Updated On - March 25, 2025 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान को अंतिम रूप देने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

इसका मसौदा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने शीर्ष अदालत के निर्देश पर तैयार किया था।

महासंघ द्वारा दायर एक याचिका सहित कई याचिकाओं को न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।

न्यायमूर्ति नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिकाएं इसलिए रखी गईं क्योंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने छह जनवरी को सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने कहा था कि हो सकता है कि उन्होंने इन मामलों की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में पहले कर ली हो।

न्याय मित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने एआईएफएफ के संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों का हवाला देते हुए दलीलें शुरू कीं और कहा कि कुछ सदस्यों और पूर्व खिलाड़ियों को कुछ अनुच्छेदों पर थोड़ी आपत्तियां हैं।

उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति कुल 12 वर्षों तक एआईएफएफ का निर्वाचित पदाधिकारी बना रह सकता है और आठ वर्षों तक खेल संस्था का पदाधिकारी रहने के बाद चार वर्षों की ‘कूलिंग ऑफ’ अवधि का पालन करना होता है। साथ ही कोई व्यक्ति 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद खेल संस्था का सदस्य नहीं रह सकता।

पीठ ने कहा कि वह अगले बुधवार को उन वकीलों की सुनवाई करेगी, जिन्हें खेल निकाय के मसौदा संविधान पर आपत्ति है।

भाषा नमिता आनन्द

आनन्द