चंडीगढ में स्कूल में खोखो खेलने की यादें ताजा करने के लिये सोनम बनी आस्ट्रेलिया की कप्तान

चंडीगढ में स्कूल में खोखो खेलने की यादें ताजा करने के लिये सोनम बनी आस्ट्रेलिया की कप्तान

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  • Publish Date - January 16, 2025 / 02:17 PM IST,
    Updated On - January 16, 2025 / 02:17 PM IST

(मोना पार्थसारथी)

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) चंडीगढ में स्कूली दिनों में खोखो खेलने वाली सोनम गर्ग ने कभी सोचा नहीं था कि एक बच्चे की मां बनने के बाद एक दिन भारत में वह विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में आस्ट्रेलियाई महिला टीम की कप्तान के रूप में लौटेंगी ।

भारतीय मूल की सोनम 13 से 19 जनवरी तक यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में चल रहे पहले खोखो विश्व कप में आस्ट्रेलिया महिला टीम की कप्तान हैं ।

उन्होंने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ मैं चंडीगढ में पली बढी हूं और दस साल पहले ही शादी के बाद मेलबर्न में बसी । मैं भाारत में अपने स्कूली दिनों में खोखो खेलती थी लेकिन वह 20 . 22 साल पहले की बात है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ फिर मैने खोखो विश्व कप के बारे में सुना तो मैं काफी उत्साहित हो गई चूंकि मेरी बचपन की यादें ताजा हो गई थी । मैने संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया और आस्ट्रेलियाई टीम में शामिल हुई । बाद में मुझे कप्तान बनाया गया ।’’

नौ बरस के बच्चे की मां सोनम के लिये पहली चुनौती परिवार, पूर्णकालिक नौकरी और अपने शौक के बीच संतुलन बनाना था ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरा नौ साल का बेटा है और काम, परिवार, शौक के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं था लेकिन मेरे परिवार ने पूरा साथ दिया । मैं कई बार अपने बेटे को मैदान पर ले जाती थी क्योंकि घर पर उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता था । वह मैदान पर बैठता, किताबें पढता और कई बार हमारे साथ दौड़ भी लगाता । इसी तरह से अभ्यास किया ।’’

वित्तीय पेशेवर सोनम ने विश्व कप के लिये नौकरी से अवकाश लिया जबकि उनके पति घर से काम कर रहे हैं ।

सोनम ने कहा ,‘‘ आस्ट्रेलिया में गर्मियों में छह सप्ताह स्कूल की छुट्टियां होती है तो मेरा बेटा घर पर ही है । इस वजह से मेरे पति घर से ही काम कर रहे हैं ।’’

उनका बेटा क्रिकेट का प्रशंसक है लेकिन अब खोखो में भी रूचि लेने लगा है । जब आस्ट्रेलियाई टीम पहला मैच इंग्लैंड से हार गई तो वह अपने आंसू नहीं रोक सका ।

सोनम ने कहा ,‘‘ मैं हर मैच के बाद वीडियो कॉल करके घर पर बात करती हूं क्योंकि वे मेरा मैच देखते हैं ।जब हम इंग्लैंड से हार गए तो मेरा बेटा रोने लगा कि मेरी मम्मी हार गई है । मैने उसे सांत्वना दी और कहा कि यह हमारा पहला ही अनुभव है और हम यहां खेल का लुत्फ उठाने आये हैं ।’’

उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया जैसे खेलप्रेमी और कई संस्कृतियों के लोगों से मिलकर बने देश में एक नये खेल के लिये टीम तैयार करना मुश्किल नहीं था ।

सोनम ने कहा ,‘आस्ट्रेलिया ने तीन महीने पहले तक खोखो के बारे में सुना नहीं था । वहां के मूल निवासियों को तो इसका मतलब भी नहीं पता लेकिन अब वहां खेल लोकप्रिय हो रहा है और मुझे लगता है कि इसका भविष्य उज्जवल होगा । आस्ट्रेलिया की टीम बनाने में दिक्कत नहीं हुई क्योंकि यह खेलप्रेमियों का देश है जहां लोग फिट और फुर्तीले है और खोखो में यही चाहिये । हमारे पास फिटनेस और कौशल था , जरूरत थी तो नियम और तकनीक सीखने की ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ हमारी टीम में भारतीय, आयरिश , यूरोपीय और एक फिलीपीन की भी लड़की है । खिलाड़ी 20 से 35 वर्ष के बीच के हैं ।’’

भारत और आस्ट्रेलिया की होने के कारण सोनम का क्रिकेटप्रेमी होना लाजमी है और बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान वह आस्ट्रेलिया का समर्थन करने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर टेस्ट देखने गई थी जिसमें भारत को पराजय का सामना करना पड़ा था ।

यह पूछने पर कि भारत के खिलाफ आस्ट्रेलिया का समर्थन करना अजीब नहीं लगता, सोनम ने कहा ,‘‘ मिली जुली भावनायें हैं क्योंकि मैं भारत से हूं और मेरे माता पिता अभी भी चंडीगढ में रहते हैं । लेकिन बतौर खिलाड़ी मैं आस्ट्रेलियाई टीम की कप्तान हूं और हमेशा आस्ट्रेलियाई टीम की समर्थक भी ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरा बेटा भारतीय टीम का फैन है । हम खूब क्रिकेट देखते हैं और एमसीजी पर टेस्ट देखने भी गए थे । मुझे लगता है कि भारत और आस्ट्रेलिया दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धी हैं और इसी तरह से होना चाहिये । अपनी प्रतिस्पर्धी भावना का प्रदर्शन करने में कोई बुराई नहीं है ।’’

आस्ट्रेलिया की समर्थक होने के बावजूद वह भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की फैन हैं ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरा पसंदीदा भारतीय खिलाड़ी जसप्रीत बुमराह है । वह शांतचित्त होकर खेलता है और उसका गजब का व्यक्तित्व है । जिस तरह से उसने टेस्ट श्रृंखला में प्रदर्शन किया, वह काबिले तारीफ है ।’’

भाषा मोना नमिता

मोना

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