(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) ओलंपियन और अनुभवी टेनिस खिलाड़ी विष्णु वर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय महासंघ को अदालत में घसीटना सही दृष्टिकोण नहीं है और उन्होंने राष्ट्रीय महासंघ के साथ बेहतर समन्वय के लिए खिलाड़ियों की परिषद के गठन की वकालत की क्योंकि एआईटीए सोमदेव देववर्मन और पूरव राजा द्वारा दायर याचिका के कारण अक्षम हो गया है।
भारत के बेहतरीन एकल खिलाड़ियों में से एक देववर्मन और एक अच्छे युगल खिलाड़ी राजा ने कुछ उम्मीदवारों की पात्रता को चुनौती देते हुए हाल में हुए एआईटीए चुनाव पर रोक लगाने की मांग की।
अदालत ने चुनावों की अनुमति दी लेकिन परिणामों की घोषणा पर रोक लगा दी। इसने नयी टीम को एआईटीए प्रशासन को संभालने की अनुमति नहीं दी। चुनाव के परिणाम एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपे गए।
सूत्रों के अनुसार जरूरी बदलाव लाने में सक्षम एक जुनूनी टीम ने चुनाव जीता है लेकिन याचिका के कारण उसके हाथ बंधे हुए हैं।
2012 लंदन ओलंपिक में महान खिलाड़ी लिएंडर पेस के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले वर्धन ने कहा कि बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है क्योंकि एआईटीए के सामने चुनौतियों को समझना भी महत्वपूर्ण है।
वर्धन ने पीटीआई से कहा, ‘‘खिलाड़ियों का दृष्टिकोण यह है कि महासंघ कुछ नहीं कर रहा है। और देखिए प्रशासकों की भी अपनी चुनौतियां हैं, अपनी सीमाएं हैं। मैं चाहता हूं कि खिलाड़ी भी दोनों बिंदुओं को समझें। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि प्रशासन भी यह समझे कि वे खिलाड़ियों की बात सुन सकते हैं और उन बदलावों को अपना सकते हैं लेकिन वे कभी भी खिलाड़ी परिषद नहीं बनाएंगे। ’’
इस 37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि महासंघ और खिलाड़ियों के बीच एक स्वस्थ बातचीत होनी चाहिए। ’’
वर्धन ने कहा कि उन्हें देववर्मन और राजा में कोई गलती नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सोमदेव और पूरव खिलाड़ियों के पूरे समूह का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। और साथ ही, सोमदेव और पूरव जो महसूस करते हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वे गलत हैं। मुझे लगता है कि उनका दृष्टिकोण बेहतर हो सकता था, यह बहुत मजबूत था। मुझे लगता है कि यह और भी बेहतर तरीके से हो सकता था। ’’
भाषा नमिता आनन्द
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