नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) बृजिंदर सिंह को रविवार को यहां वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के दौरान लगातार दूसरी बार भारतीय गोल्फ संघ (आईजीयू) का अध्यक्ष चुना गया।
साल 2024 से 2026 के कार्यकाल के लिए आईजीयू पदाधिकारियों और संचालन परिषद के चुनाव निर्विरोध हुए क्योंकि उम्मीदवारों की संख्या उपलब्ध पदों के बराबरी थी।
सिंह अध्यक्ष पद के लिए अकेले उम्मीदवार थे, जबकि एस के शर्मा और संजीव रतन क्रमशः सचिव और कोषाध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुने गए।
संचालन समिति के लिए चुने गये नौ सदस्यों में फरजान आर हीरजी (झारखंड), हरपुनीत सिंह संधू (चंडीगढ़), हरीश कुमार (उत्तराखंड), नागेश सिंह (असम), डॉ परम नवदीप सिंह (राजस्थान), समीर सिन्हा (गुजरात), शशांक संदू (महाराष्ट्र), सिमरजीत सिंह (उत्तर प्रदेश), और वीरेन सिंह घुम्मन (पंजाब) है।
बृजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘नयी टीम का मुख्य फोकस पिछले कुछ वर्षों में किए गए अच्छे काम को जारी रखना है। अधिकांश सदस्य पछली संचालन समिति का हिस्सा रहे हैं और अनुभवी गोल्फर हैं। हम अपने विकास पथ को लेकर स्पष्ट हैं और उस दिशा में काम करना जारी रखेंगे।’’
‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में आयोजित चुनाव न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रामेश्वर सिंह मलिक की देखरेख में आयोजित किया गया था। न्यायमूर्ति मलिक को दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव अधिकारी (आरओ) के रूप में चुनाव की निगरानी करने की अनुमति दी है।
वह न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ओपी गर्ग और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) प्रमोद कोहली के बाद तीसरे इस पद पर नियुक्त व्यक्ति हैं।
इस बीच सचिव हरीश शेट्टी के नेतृत्व में 21 एसजीए सहित एक प्रतिद्वंद्वी गुट आईजीयू की एक अलग वार्षिक आम बैठक के लिए भारतीय ओलंपिक संघ के मुख्यालय ओलंपिक भवन में इकट्ठा हुआ जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ओ पी गर्ग निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्यरत थे।
इस गुट में शेट्टी को अध्यक्ष जबकि लेफ्टिनेंट जनरल बसंत कुमार रेप्सवाल को महासचिव और मनोज जोशी को कोषाध्यक्ष के रूप में नौ परिषद सदस्यों के साथ चुना गया।
बंगाल गोल्फ संघ ने पहले न्यायमूर्ति मलिक की आरओ के रूप में नियुक्ति को चुनौती दी थी लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और मलिक की देखरेख में चुनाव की अनुमति दे दी। हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ता को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद कानूनी रूप से चुनौती देने की छूट दी।
शेट्टी ने कहा, ‘‘हमने किसी के साथ कोई गलत काम नहीं किया है, कानूनी तौर पर हमने सही काम किया है। ’’
कानूनी चुनौती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, सिंह ने कहा, ‘‘दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रामेश्वर सिंह मलिक द्वारा घोषित निर्वाचक मंडल और परिणाम कानूनी रूप से वैध हैं। अगर परिणामों को चुनौती दी जाती है, तो हम अदालतों के माध्यम से इसका समाधान करेंगे। हम इसमें और कुछ नहीं कर सकते हैं।’’
भाषा
नमिता सुधीर
सुधीर