शरद के यूक्रेनी कोच अपने शिष्य की पैरालंपिक उपलब्धि के बारे में सुनकर बेहद खुश

शरद के यूक्रेनी कोच अपने शिष्य की पैरालंपिक उपलब्धि के बारे में सुनकर बेहद खुश

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  • Publish Date - September 4, 2024 / 07:02 PM IST,
    Updated On - September 4, 2024 / 07:02 PM IST

पेरिस, चार सितंबर (भाषा) पैरा ऊंची कूद के खिलाड़ी शरद कुमार रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण दो साल से अधिक समय से अपने यूक्रेनी कोच निकितिन येवहेन से नहीं मिले हैं लेकिन यह जानने के बाद कि उनके शिष्य ने पेरिस खेलों में अपना दूसरा पैरालंपिक पदक जीता है, वह बेहद खुश हुए और लगभग रोने लगे।

बत्तीस साल के शरद ने 1.88 मीटर के प्रयास से टी63 वर्ग में रजत पदक जीता जबकि उनके हमवतन मरियप्पन थंगावेलु को 1.85 मीटर के प्रयास से कांस्य पदक मिला।

शरद ने तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता था।

टी63 वर्ग एकल घुटने या घुटने से ऊपर के अंग में कमजोरी वाले खिलाड़ियों के लिए है।

येवहेन यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्कीव के रहने वाले हैं। शरद ने 2017 से लेकर 2021 में तोक्यो पैरालंपिक में ऊंची कूद में कांस्य पदक जीतने तक खार्कीव में येवहेन के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग ली।

पेरिस खेलों से पहले फिलिपींस में ट्रेनिंग लेने वाले शरद ने बुधवार को कहा, ‘‘मैंने कल रात उनसे बात की, वह बहुत खुश हैं (शरद की उपलब्धि जानने के बाद)। उन्होंने मुझे एक ऑडियो भेजा, वह लगभग रो रहे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध ने मुझ पर बहुत प्रभाव डाला है क्योंकि युद्ध शुरू होने (फरवरी 2022 में) के बाद से मेरे कोच मेरे साथ नहीं रह पाए हैं। यहां तक ​​कि जब मैं फिलिपींस में था तब भी मैं हमेशा उनके साथ ऑनलाइन चैट करता था।’’

शरद ने कहा, ‘‘उनका आशीर्वाद और उनका मार्गदर्शन हमेशा मेरे साथ रहा। मैं हर समय, हर दिन उनके संपर्क में रहता हूं।’’

शरद ने 2022 में युद्ध शुरू होने के ठीक बाद ‘पीटीआई’ से कहा था कि वह अपने कोच येवहेन की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे और यह सुनकर व्यथित थे कि एक अपार्टमेंट के बगल के इलाके में बमबारी की गई है जो लंबे समय तक प्रशिक्षण के दौरान उनका घर था।

उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने येवहेन के परिवार से बात की तो उन्हें रोते हुए सुना।

शरद ने बुधवार को कहा, ‘‘उनके (कोच येवहेन) लिए यह बहुत मुश्किल रहा है। वह इधर-उधर नहीं जा सकते, वह अकेले हैं, वह घर में अकेले आदमी हैं क्योंकि उनके बच्चे युद्ध में हैं। यह एक कठिन स्थिति है।’’

येवहेन पहले भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच के रूप में भारत में थे।

बिहार के रहने वाले शरद को स्थानीय उन्मूलन अभियान के दौरान नकली पोलियो दवा के कारण बाएं पैर में लकवा मार गया। वह एशियाई पैरा खेलों (2014 और 2018) के ऊंची कूद के दोहरे चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप (2019) के रजत पदक विजेता हैं। उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री प्राप्त की है।

मंगलवार को शरद को अमेरिका के फ्रीच एजरा ने पछाड़ा जिन्होंने 1.94 मीटर के प्रयास से स्वर्ण पदक जीता।

भाषा सुधीर मोना

मोना