खेल विधेयक में प्रस्तावित नियामक प्राधिकरण से खेल संघों की स्वायत्तता को नुकसान: उषा

खेल विधेयक में प्रस्तावित नियामक प्राधिकरण से खेल संघों की स्वायत्तता को नुकसान: उषा

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  • Publish Date - October 18, 2024 / 05:09 PM IST,
    Updated On - October 18, 2024 / 05:09 PM IST

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के मसौदे के कुछ प्रावधानों पर चिंता जताते हुए कहा कि इसमें प्रस्तावित नियामक प्राधिकरण आईओए और राष्ट्रीय महासंघों  की स्वायत्तता को कमजोर करेगा और इससे देश पर अंतरराष्ट्रीय निलंबन का खतरा होगा।

उषा ने खेल मंत्री मनसुख मांडविया को लिखे पत्र में यह भी कहा कि विधेयक राज्य ओलंपिक संघों (एसओए) की भूमिका पर स्पष्टता प्रदान नहीं करता है, जिससे खेल प्रशासन के विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया कमजोर हो जाती है।

उनकी सबसे बड़ी चिंता हालांकि आईओए और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) की स्वायत्तता को लेकर है। विधेयक के प्रस्ताव में भारतीय खेल नियामक बोर्ड के गठन का जिक्र है जो उनके कामकाज की देखरेख करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह शासन को मजबूत कर सकता है और भ्रष्टाचार या कुप्रबंधन जैसे प्रशासनिक मुद्दों को रोक सकता है  लेकिन इससे खेल निकायों, खासकर आईओए, एनएसएफ और एसओए (राज्य खेल संघ) की स्वायत्तता की चिंता बढ़ जायेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐतिहासिक रूप से इन संगठनों की स्वायत्तता अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशासन में एक प्रमुख सिद्धांत रही है। आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) विशेष रूप से राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों की स्वतंत्रता और सरकारी हस्तक्षेप को लेकर काफी सख्त है।’’

उषा गुरुवार को  मांडविया द्वारा आयोजित हितधारकों की बैठक में मौजूद थी।

मसौदा विधेयक को 25 अक्टूबर तक जनता की प्रतिक्रिया के लिए रखा गया है। इसे लंबे समय से कार्यरत अधिकांश प्रशासकों का समर्थन मिला है। विधेयक में पदाधिकारियों की आयु और कार्यकाल की सीमा में ढील देने का प्रावधान है।

इस पूर्व दिग्गज धाविका ने हालांकि ने दावा किया कि नियामक प्राधिकरण को आईओए और एनएसएफ के कामकाज को नियंत्रित करने के लिए व्यापक शक्तियां दी गई हैं।

प्राधिकरण का काम एनएसएफ के अंदर सुशासन और वित्तीय प्रथाओं का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा और उसके पास इन निकायों को मान्यता देने पर निर्णय लेने की शक्ति होगी।

उन्होंने तर्क दिया, ‘‘इससे सरकार और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशासन निकायों विशेष रूप से आईओसी के बीच टकराव हो सकता है। आईओसी ने पहले भी अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप के लिए कई राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों को निलंबित कर दिया है।’’

आईओए के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप के कारण 2012 लंदन ओलंपिक के बाद भारत पर लगे अंतरराष्ट्रीय निलंबन को याद करते हुए उषा ने कहा कि एक बार फिर इसी तरह के प्रतिबंध से इनकार नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि सरकार आईओसी के साथ संभावित टकराव से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्वायत्तता के संरक्षण के साथ नियामक निरीक्षण को संतुलित करे।’’

उषा ने कहा, ‘‘विधेयक के अंतिम मसौदे में इन मुद्दों को संबोधित करने से निश्चित रूप से इसके सफल कार्यान्वयन और अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।’’

उषा इस समय आईओए की कार्यकारी परिषद (ईसी) के साथ मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रघुराम अय्यर को लेकर विवाद में फंसी हुई है। कार्यकारी परिषद के सदस्य उनके पसंदीदा सीईओ को हटाने की मांग कर रही है।

ईसी ने इस मुद्दे पर 25 अक्टूबर को आगामी विशेष आम बैठक में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दी है।

खेल विधेयक के इस प्रस्तावित मसौदे को हालांकि आईओए उपाध्यक्ष गगन नारंग और कल्याण चौबे जैसे कुछ सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। इसके जल्द ही संसद में पेश होने की उम्मीद है।

भाषा आनन्द मोना

मोना