Popularity of Kabaddi in Western Countries

क्रिकेट के बदले कबड्डी, पश्चिमी देशों में ऐसा चढ़ा खुमार कि 2025 में होगा कबड्डी वर्ल्डकप, आखिर क्यों भा रहा फिरंगियों को ये देसी खेल?

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Modified Date: July 3, 2023 / 10:22 AM IST
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Published Date: July 3, 2023 10:19 am IST

नई दिल्ली: कबड्डी का जन्मदाता भारत ही था। इतिहास खंगालने पर मालूम पड़ता है कि इस खेल को पहले बार दक्षिण भारत के तमिलनाडु में अपनाया गया था। देखते ही देखते भारत में यह खेल लोकप्रियता के सोपान चढ़ता गया। हालाँकि अलग-अलग क्षेत्रो में इसे अलग-अलग नामों से पहचान मिली पर खेल के कायदे एक ही रहे। (Popularity of Kabaddi in Western Countries) समय बीता तो कबड्डी की लोकप्रियता ने भारत की सरहदों को पार कर लिया नतीजतन पहली बार 1936 में इसे बर्लिन ओलम्पिक में शामिल किया गया और तब से लेकर आजतक भारत में जन्मा यह खेल दुनिया भर के हिस्सों में खेला जाने लगा। बच्चो से लेकर हर उम्र, लिंग के बीच कबड्डी ने ऐसी प्रसिद्धि हासिल किया कि आज कबड्डी के लिए महंगे लीग आयोजित किये जा रहे है। खेल के साथ ही करोड़ो का व्यापार हो रहा, नए खिलाड़ी उभरकर सामने आ रहे।

भारत में कबड्डी लीग की शुरुआत

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पिछले कुछ दशक में जब क्रिकेट और फुटबॉल दूसरे खेलों के लिए चुनौती बने हुए थे इस बीच भारत में सन 2014 में पहली बार प्रो कब्बडी के नाम पर लीग की शुरुआत की गई। कबड्डी के लीग चैम्पियनशिप का यह पहला सीजन था लिहाजा लोगों में भी इसे लेकर खासी दिलचस्पी देखने को मिली। यह दुनिया का पहला शीर्ष फ्रेंचाइजी-आधारित कबड्‌डी टूर्नामेंट भी बना। 2014 में अपनी शुरुआत के बाद से, पीकेएल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के बाद देश में दूसरी सबसे ज्यादा देखी जाने वाली खेल लीग बन गया। हालाँकि इस लीग की प्रेरणा 2006 में दोहा-कतर में हुए एशियाई खेलो को माना गया जहां इसे कवर किया गया था। 2014 में इस लीग की शुरुआत से मानों कबड्डी का पुनर्जन्म हो गया।

प्रो कबड्डी लीग के पहले सीजन में आठ टीमों ने अपनी हिस्सेदारी की थी लेकिन 2017 के सीजन 5 में गुजरात जायंट्स, हरियाणा स्टीलर्स, यूपी योद्धा और तमिल थलाइवाज के साथ प्रो कबड्डी का विस्तार 12 टीमों तक हो गया। पीकेएल भारत के साथ पूरी दुनिया में कबड्डी को लोकप्रियता दिलाने में एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ। (Popularity of Kabaddi in Western Countries) 2017 में पीकेएल के राइट्स चीनी फोन निर्माताओं वीवो ने लगभग ₹300 करोड़ में हासिल किए थे। आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सरशिप के बाद यह भारत में दूसरी सबसे बड़ी स्पॉन्सरशिप डील भी बनी।

अब पश्चिमी देशों में भी पॉपुलर

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बात मौजूदा दौर की करें तो कबड्डी की लोकप्रियता उस देश तक जा पहुंची जहाँ से क्रिकेट ने जन्म लिया। जी हां हम बात कर रहे है ब्रिटेन की। ब्रिटेन में इन दिनों कबड्डी ने खासी पॉपुलरिटी हासिल की है खासकर कबड्डी लीग के बाद यहाँ इस खेल के लिए बाकायदा स्टेडियम भी रिजर्व भी कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक़ 12 काउंटी के स्टेडियम में कबड्डी का रोजाना प्रेक्टिस सेशन शुरू किया गया है। इतना ही नहीं बल्कि इन दिनों इंडोर स्टेडियम्स को बाकायदा रिजर्व कर दिया गया है। यहाँ हर दिन साउथ एशियन बच्चे जिनमे ज्यादातर भारतीय मूल के बच्चे शामिल है उनके साथ ब्रितानी भी कबड्डी के इस सेशन में हिस्सा लेने पहुंच रहे है।

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2025 में वर्ल्डकप

किसी और खेल के मुकाबले कबड्डी की लोकप्रियता को इसी बात से आंका जा सकता हैं कि एक दशक पहले ही जहां लीग गेम्स में यह खेल शामिल था उसे विश्वकप में तब्दील किया जा रहा है। एक अख़बार को दिए अपने इंटरव्यू में इंग्लैण्ड कबड्डी एसोसिएशन के प्रमुख अशोक दास ने बताया कि यह खेल इंग्लैण्ड में काफी लोकप्रियता हासिल कर चुका है। 2025 में कबड्डी का विश्वकप भी आयोजित किया जा रहा है।

अशोक दास इस पॉपुलैरिटी की वजह इसके लो कॉस्ट और खेल के नेचर को मानते है। बिना महंगे संसाधन के खेला जाने वाला यह खेल शारीरिक तौर पर भी उतना ही लाभदायक है। (Popularity of Kabaddi in Western Countries) अशोक दास इसकी एक वजह 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स को भी मानते है जहाँ कबड्डी को शामिल किया गया था और इसे काफी सराह भी गया। वैसे भी पश्चिमी देशों में सेहत को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है। फिर वह योग हो या शारीरिक व्यायाम। इन सबके बीच कबड्डी भी इस तरह के सामूहिक व्यायाम के लिए बड़ा विकल्प बना है। रिपोर्ट्स बताते है कि आने वाले दिनों में इंग्लैण्ड के काउंटिस (जिलों) में डैडिकेटेड स्टेडियम बनाये जायेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ लोगों में बढ़ता क्रेज इसे और भी ज्यादा प्रसिद्धि दिलाएगा। ब्रिटेन की कोशिश इसे सीधे तौर पर अपने व्यवसाय से जोड़ने की भी है।

क्या कहते है चारू शर्मा?

भारत के साथ विदेशों में कबड्डी को ख्याति दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वालों में मशाल स्पोर्ट्स के निदेशक चारू शर्मा का नाम सबसे ऊपर आता है। प्रो कबड्डी के संस्थापक चारु शर्मा ने इस बात पर अपने विचार व्यक्त किए है कि किन वजह से उन्होंने देश में अन्य खेलों की ओर जाने के बजाय कबड्डी पर ध्यान केंद्रित किया? चारु शर्मा बताते है कि कबड्डी अभी भी एक ‘बुलंद खेल’ या पारंपरिक खेल है क्योंकि इसे अतीत में काफी पहचान मिली है और इस खेल के प्रति लोगों का जुनून अभी भी मौजूद है। चारु शर्मा ने बड़े कॉर्पोरेट घरानों और मशहूर हस्तियों के टीमों के मालिक होने और खेल के लिए अपना समर्थन देने के बारे में पूछे जाने पर, शर्मा ने कहा कि वह हमेशा चाहते थे कि बड़े कॉर्पोरेट घराने, मशहूर हस्तियां खेल के लिए अपना समर्थन बढ़ाएं, वे आगे आएं। वे अपन आप को इस मामले में सफल भी मानते है।

जहाँ तक विदेशों में बढ़ते क्रेज का सवाल है “कबड्डी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे शुरू करने के लिए लोगों को बहुत अधिक विशेष उपकरण या बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं होती है। यही एक मुख्य कारण है कि यह अन्य देशों के लिए इतना उपलब्ध हो गया है और उन्होंने इसे पूरे दिल से स्वीकार कर लिया है।

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