ओलंपिक कांस्य पदक विेजेता कुसाले घर लौटे, सफलता का श्रेय कोच और परिवार को दिया

ओलंपिक कांस्य पदक विेजेता कुसाले घर लौटे, सफलता का श्रेय कोच और परिवार को दिया

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  • Publish Date - August 8, 2024 / 05:57 PM IST,
    Updated On - August 8, 2024 / 05:57 PM IST

पुणे, आठ अगस्त (भाषा) पेरिस ओलंपिक में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले का बृहस्पतिवार को स्वदेश लौटने पर भव्य स्वागत किया गया और उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और कोच को दिया।

कोल्हापुर के कुसाले पेरिस खेलों में अब तक भारत के दो व्यक्तिगत पदक विजेताओं में से एक रहे हैं।

स्वदेश लौटने पर कुसाले का गर्मजोशी से स्वागत किया गया और वह भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए शहर के प्रसिद्ध दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर गए।

उन्होंने बालेवाड़ी खेल परिसर में एक सम्मान समारोह के दौरान मीडिया से कहा, ‘‘यह पदक मेरा नहीं है, यह पूरे देश और महाराष्ट्र का है। यह मेरा समर्थन करने वाले सभी लोगों, सरकार और राष्ट्रीय महासंघ का है। मैं भाग्यशाली हूं कि मैं महाराष्ट्र को गौरवांवित कर सका।’’

कुसाले ने कहा, ‘‘मैं सबसे पहले बप्पा की पूजा करना चाहता था और आरती करना चाहता था। यह मेरा दूसरा घर है और मुझे यहां अच्छी नींद आती है।’’

कुसाले ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच और परिवार के सदस्यों को दिया और कहा कि वह अगली बार स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य रखेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘कोच और परिवार के सदस्य बहुत मेहनत करते हैं। साथ ही उन्होंने बहुत त्याग किया है।’’

कुसाले ने कहा, ‘‘खिलाड़ी अपनी ट्रेनिंग पर काम करता रहता है लेकिन जो लोग उसके पीछे हैं उन्हें बहुत त्याग करना पड़ता है इसलिए मैं उन्हें बहुत श्रेय देता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इतने वर्षों की कड़ी मेहनत, कोविड महामारी से गुजरने के बाद पदक जीतना, समर्थकों की कमी… मैंने आखिरकार अच्छी निशानेबाजी शुरू की और प्रायोजक भी मिल गए।’’

इस स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाले पहले भारतीय बने कुसाले ने कहा कि उन्होंने इस दौरान दबाव से निपटना सीखा।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे परिवार ने मुझे कभी नहीं बताया कि घर पर क्या हो रहा है लेकिन उन्होंने मुझे वह सब कुछ दिया जो मैंने मांगा। उन्होंने मुझे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि घर में किस चीज की कमी है। अब मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं कि उन्हें किसी चीज की कमी महसूस नहीं हो।’’

कुसाले ने कहा, ‘‘(फाइनल में) दबाव के बारे में बात करूं तो मैं इससे निपटना चाहता था और निशानेबाजी पर ध्यान केंद्रित करना चाहता था। मैं अपनी टीम और भारतीय प्रशंसकों के समर्थन की कल्पना कर रहा था और उनका शोर कुछ ऐसा था जिसे मैं सुनना चाहता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वहां अन्य देशों के लोग भी थे लेकिन मैं केवल भारतीयों के शोर पर ध्यान केंद्रित करना चाहता था और इसका उपयोग पदक जीतने के लिए करना चाहता था।’’

उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘‘जब मेरे पिता ने मुझे एक खेल स्कूल में भर्ती कराया तो मुझे निशानेबाजी खेल दिलचस्प लगा और इसे देखकर मुझे लगा कि मुझे यह पसंद है और यहीं से इसकी शुरुआत हुई।’’

कुसाले ने पहलवान विनेश फोगाट के 50 किग्रा महिला स्वर्ण पदक मैच से ठीक पहले 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य ठहराए जाने पर भी अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा, ‘‘इतनी मेहनत के बाद, (केवल) एक खिलाड़ी ही कल्पना कर सकता है कि वह किस दौर से गुजर रही होंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने बहुत समर्थन दिया। हमारे अन्य देशों में शिविर हुए और उन्होंने हमें काफी वित्तीय सहायता दी।’’

भाषा सुधीर मोना

मोना