नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) से पूछा है कि वह बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में घास को पानी देने के लिए ताजे पानी का इस्तेमाल क्यों कर रहा है।
एनजीटी ने इससे पहले अप्रैल की शुरुआत में एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में उपचारित पानी की आपूर्ति के मामले में राज्य क्रिकेट संघ से जवाब मांगा था।
इसने पाया था कि आईपीएल मैचों के दौरान स्टेडियम में करीब 75,000 लीटर पानी की जरूरत होती है जबकि कर्नाटक की राजधानी में रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर पानी की कमी है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 26 नवंबर के अपने आदेश में कहा कि संघ ने जवाब दाखिल कर बताया है कि पानी कहां से प्राप्त किया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘प्रतिवादी संख्या चार (कर्नाटक क्रिकेट संघ) द्वारा दायर रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि प्रतिवादी घास को पानी देने के लिए बोरवेल (भूजल) का उपयोग कर रहा है जो ताजे पानी का स्रोत है।’’
न्यायाधिकरण ने गौर किया कि संघ के वकील ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) द्वारा उपचारित पानी के बजाय ताजे पानी का उपयोग करने के कारण के बारे में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा।
इसने कहा, ‘‘उपर्युक्त पहलू की पुष्टि करने वाला हलफनामा चार सप्ताह के भीतर दायर किया जाए।’’
कार्यवाही के दौरान न्यायाधिकरण ने यह भी गौर किया कि जवाब के अनुसार संघ अपने द्वारा स्थापित 200 किलो लीटर प्रति दिन (केएलडी) क्षमता वाले एसटीपी का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए आवश्यक मात्रा में नगरपालिका सीवेज प्राप्त करने में सक्षम नहीं था।
मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।
भाषा रंजन सुधीर नमिता
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