नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) इम्फाल स्थित दो फुटबॉल क्लबों ने आई-लीग की निचली लीग में खिसकाने के राष्ट्रीय महासंघ (एआईएफएफ) के फैसले को रद्द करने की अपील के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा कि पिछले साल मई से मणिपुर में जातीय संघर्ष ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन और मानसिक स्थिति को प्रभावित किया।
पिछले महीने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने 2023-24 सत्र की अंक तालिका में सबसे नीचे रहने वाली दो टीमों नेरोका एफसी और टीआरएयू एफसी को आई-लीग से रेलीगेट (नीचे खिसकाना) कर दिया था। नेरोका 14 अंक से 12वें स्थान पर रहा जबकि टीआरएयू 13 अंकों से 13वें और आखिरी स्थान पर रहा।
मणिपुर में मौजूदा परिस्थितियों के कारण नेरोका और टीआरएयू इम्फाल में अपने घरेलू मैच नहीं खेल सके थे। उन्होंने अपने पांच घरेलू मैच पश्चिम बंगाल के कल्याणी में खेले जबकि शेष सात शिलांग में खेले थे।
दोनों क्लबों ने आइजोल एफसी के खिलाफ अपने-अपने मैचों को तटस्थ स्थान पर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया था। संघर्ष में शामिल अन्य जातीय समुदाय के हजारों लोग मिजोरम में स्थानांतरित हो गए थे।
नेरोका और टीआरएयू ने आठ और 12 अप्रैल आइजोल जाने से इनकार कर दिया था। एआईएफएफ ने इसके बाद इन दोनों मैचो को रद्द कर दिया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी राज्य में तीन मई 2023 को शुरू हुए जातीय संघर्ष का हवाला देते हुए इंफाल स्थित दो क्लबों को रेलीगेशन से छूट देने का अनुरोध किया था
दोनों क्लबों ने अब दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है जिसने एआईएफएफ को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई छह सितंबर को होगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के एक आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं के वकील का दावा है कि यह रेलीगेशन मनमाना है। यह न केवल याचिकाकर्ताओं के पिछले प्रदर्शन और स्कोर पर विचार करने में विफल रहा है बल्कि क्वालीफाइंग मैचों से ठीक पहले की सामाजिक पृष्ठभूमि पर भी विचार नहीं किया गया।’’
न्यायाधीश संजीव नरूला के 24 जुलाई के आदेश में कहा गया , ‘‘2022-23 के फुटबॉल सत्र के समापन से पहले मणिपुर में स्थिति चिंताजनक हो गई थी। इससे राज्य में जानमाल का नुकसान, बर्बरता, संपत्तियों का विनाश और सांप्रदायिक झड़पें हुईं।’
भाषा आनन्द नमिता
नमिता