जायसवाल दो दिनों में 200 ओवर बल्लेबाजी अभ्यास कर बनाया पर्थ की पिच से सामंजस्य

जायसवाल दो दिनों में 200 ओवर बल्लेबाजी अभ्यास कर बनाया पर्थ की पिच से सामंजस्य

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  • Publish Date - November 23, 2024 / 07:56 PM IST,
    Updated On - November 23, 2024 / 07:56 PM IST

… कुशान सरकार …

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की बॉर्डर गावस्कर श्रृंखला के शुरुआती मैच की दूसरी पारी में संयमित बल्लेबाजी कर नाबाद 90 रन की पारी खेलने वाले युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने पर्थ की तेज गेंदबाजों की मददगार पिच से सामंजस्य बैठाने के लिए कड़ा अभ्यास किया जिसमें दो दिनों में लगभग 200 ओवर की बल्लेबाजी अभ्यास शामिल है। जायसवाल ने इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेट निदेशक जुबिन भरूचा की देखरेख में बल्लेबाजी में काफी सुधार किया है। वह कोविड-19 महामारी के दौरान महाराष्ट्र के तालेगांव स्थित भरूचा की अकादमी में अभ्यास करते थे। न्यूजीलैंड श्रृंखला में स्पिनरों की मददगार पिच पर खेलने के बाद ऑस्ट्रेलिया की तेज और उछाल वाली पिचों से सामंजस्य बिठाने के लिए जायसवाल के पास काफी कम समय था। वह इस तैयारी के लिए दो दिनों तक अपने घर के निकट ठाणे स्टेडियम में रूके रहे और वहां थ्रो डाउन’ पर लगभग 200 ओवरों तक बल्लेबाजी अभ्यास किया। उन्होंने कंक्रीट के स्लैब को 45 डिग्री के कोण पर रख कर लगभग 145 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाली गेंदों पर अभ्यास किया। इस दौरान गेंदें को उनके शरीर के साथ ऑफ स्टंप को निशाना बना कर डाली गयी। इंडियन प्रीमियर लीग की नीलामी के लिए जेद्दाह में मौजूद भरूचा ने पीटीआई से कहा, ‘‘ उनके पास समय कम था इसलिए उन्होंने ठाणे स्टेडियम में अभ्यास किया। उन्होंने अभ्यास में हलकी गेंदों का इस्तेमाल किया क्योंकि वह तेजी से निकलती है। कंक्रीट स्लैब को ‘गुथ लेंथ’ से थोड़ा पीछे रखा गया था। ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले उन्हें दो दिनों में लगभग 200 ओवरों तक बल्लेबाजी अभ्यास की।’’ भरूचा से जब पूछा गया कि वह एक दिन में लगभग 100 ओवर तक बल्लेबाजी कैसे कर पाये तो उन्होंने कहा, ‘‘ अभ्यास के दौरान दो गेंदों के बीच में काफी कम समय था। गेंदें बिना रुके एक के बाद एक डाली जा रही थी ऐसे में हमने थोड़ा विश्राम करने के साथ लगभग ढाई घंटे में ऐसा कर लिया।’’ अतीत में ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले भारतीय खिलाड़ी कंक्रीट की पिच पर 15 गज की दूरी से की जाने वाली गेंदबाजी का सामना करते थे लेकिन समय के साथ इसमें काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा, ‘‘ सामान्य पिच जैसी उछाल टर्फ पिच पर हासिल करना मुश्किल है। इस लिये कंक्रीट स्लैब का इस्तेमाल ऐसे किया गया और उसे तरह से रखा गया जिससे अनियमित उछाल मिले। इस दौरान हमने सिंथेटिक गेंदों का प्रयोग किया था जो अधिक तेज गति से निकलती है।’’ भाषा आनन्द नमितानमिता