नितेश ने अर्जुन पुरस्कार पर कहा, यह सोने पर सुहागा

नितेश ने अर्जुन पुरस्कार पर कहा, यह सोने पर सुहागा

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  • Publish Date - January 5, 2025 / 01:39 PM IST,
    Updated On - January 5, 2025 / 01:39 PM IST

(अमित कुमार दास)

नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) वार्षिक राष्ट्रीय सम्मान में कथित अनदेखी के कारण कुछ पैरालंपिक पदक विजेताओं के बीच असंतोष के बीच पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी कुमार नितेश अर्जुन पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद समान रूप से आभारी और उत्साहित हैं और उन्होंने निकट भविष्य में खेल रत्न के लिए कड़ी मेहनत करने का संकल्प लिया है।

हरियाणा के इस 30 वर्षीय खिलाड़ी ने 2009 में एक रेल दुर्घटना में अपना बायां पैर खो दिया था। लेकिन वह हालात से लड़ने में कामयाब रहे और आईआईटी मंडी से स्नातक हुए और पिछले साल सितंबर में पेरिस में अपना पहला पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीता जहां उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को पुरुष एकल एसएल3 बैडमिंटन फाइनल में हराया।

नितेश ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह एक बड़ी उपलब्धि है, यह भारत में दूसरा सबसे बड़ा खेल पुरस्कार है। और यह एक खिलाड़ियों की उपलब्धियों के लिए एक बहुत अच्छी मान्यता है।’’

अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र और अर्जुन की प्रतिमा प्रदान की जाती है।

इस वर्ष रिकॉर्ड 17 पैरा खिलाड़ियों सहित 32 खिलाड़ियों के नाम को अंतिम रूप दिया गया है जबकि चार खिलाड़ियों को देश के सर्वाच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न के लिए चुना गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में वार्षिक सम्मान प्रदान करेंगी।

नितेश ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मैं पिछले आठ-नौ वर्षों से अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खेल रहा हूं और कई पदक जीत चुका हूं। बेशक, पिछला खिताब पेरिस पैरालंपिक में मिला था और फिर अर्जुन पुरस्कार के लिए नामांकित होना मेरे लिए सोने पर सुहागा जैसा है।’’

पेरिस में स्वर्ण पदक जीतने वाले तीरंदाज हरविंदर सिंह जैसे कुछ पैरा खिलाड़ियों ने खेल रत्न के लिए नहीं चुने जाने पर निराशा व्यक्त की है जो निशानेबाज मनु भाकर, पुरुष हॉकी कप्तान हरमनप्रीत सिंह, शतरंज विश्व चैंपियन डी गुकेश और पैरालंपिक स्वर्ण विजेता ऊंची कूद खिलाड़ी प्रवीण कुमार को दिया जाएगा।

यह निराशा पिछली परंपरा के कारण है जब तोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत और कृष्णा नागर, निशानेबाज मनीष नरवाल और अवनी लेखारा और भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल सभी को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न मिला था।

यह पूछे जाने पर कि क्या पेरिस में उनके प्रदर्शन के बाद उन्हें भी खेल रत्न मिलने की उम्मीद है, नितेश ने कहा, ‘‘तोक्यो 2021 के स्वर्ण पदक विजेताओं को खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामित किए जाने के बाद इस साल खिलाड़ियों के बीच चर्चा थी कि स्वर्ण पदक विजेताओं को खेल रत्न मिलेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं अर्जुन और खेल रत्न के बीच अंतर नहीं करने वाला। मुझे इस बात की कोई निराशा नहीं है कि मुझे खेल रत्न के लिए नामित नहीं किया गया।’’

इस बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मेरे लिए अर्जुन पुरस्कार पहली चीज थी और अब मुझे लगता है कि मेरी नजर खेल रत्न पर होगी। मैं देश के लिए पर्याप्त सम्मान अर्जित करने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा। फिर मुझे खेल रत्न के लिए भी नामांकित किया जाएगा।’’

हालांकि हांगझोउ एशियाई खेलों में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले नितेश को यह जानकर थोड़ी हैरानी हुई कि वह पुरस्कार के लिए खुद को नामांकित कर सकते हैं।

राजस्थान के जन्में नितेश ने कहा, ‘‘पहले महासंघ और पिछले अर्जुन या खेल रत्न पुरस्कार विजेता पुरस्कारों के लिए खिलाड़ियों को नामांकित करते थे और खिलाड़ी खुद आवेदन नहीं करते थे। ओलंपिक और पैरालंपिक वर्षों में पदक विजेताओं के नाम पर अर्जुन पुरस्कार के लिए मंत्रालय द्वारा सीधे विचार किया जाता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस साल मुझे यह भी नहीं पता था कि मुझे अर्जुन या खेल रत्न पुरस्कारों के लिए आवेदन करना होगा। मुझे लगा कि इस पर सीधे विचार किया जाएगा क्योंकि यह ओलंपिक वर्ष है। इसलिए यह मेरे लिए भी नया था कि हमें पुरस्कारों के लिए आवेदन करना होगा।’’

नितेश ने कहा कि अब वह नए सत्र पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी नजर जून में थाईलैंड में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप पर है क्योंकि मैंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और फिर मैंने एकल में रजत पदक जीता था। इसलिए मैं उन दोनों में स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं और मिश्रित युगल में भी।’’

विश्व चैंपियनशिप में दो रजत और कांस्य पदक जीत चुके इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘संभवत: अगले साल फरवरी में विश्व चैम्पियनशिप होगी। हमें इसके लिए क्वालीफाई करना होगा। लेकिन अभी विश्व में नंबर एक होने के नाते और जिस तरह से मैं खेल रहा हूं, उसे देखते हुए मेरे लिए इसके लिए पात्रता हासिल करने में कोई बड़ी बाधा नहीं होगी।’’

भाषा सुधीर मोना

मोना