बदलाव का दौर आ रहा है लेकिन मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है: अक्षर पटेल

बदलाव का दौर आ रहा है लेकिन मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है: अक्षर पटेल

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  • Publish Date - January 20, 2025 / 03:49 PM IST,
    Updated On - January 20, 2025 / 03:49 PM IST

कोलकाता, 20 जनवरी (भाषा) स्पिन-गेंदबाजी ऑलराउंडर अक्षर पटेल किसी भी समय अनुभवी रविंद्र जडेजा की जगह लेने के दावेदार हैं और वह भारतीय टेस्ट टीम में होने वाले बड़े बदलाव के दौरान पैदा होने वाली संभावनाओं से वाकिफ हैं लेकिन उन्हें अपने मामले में किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है।

अक्षर सोमवार को 31 साल के हो गए हैं और अपने सीनियर साथी के समान कौशल होने के बावजूद वह पिछले एक दशक से जडेजा की अनुपस्थिति में ही टीम में जगह बना पाते हैं।

अक्षर ने अपने 11 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में तीनों प्रारूपों में 184 विकेट लिए हैं जिसमें से 55 विकेट 14 टेस्ट में मिले हैं। इन 14 टेस्ट में से दो बांग्लादेश में थे जब जडेजा अनफिट थे।

भारतीय क्रिकेट में बदलाव के बारे में और क्या उन्हें इससे फायदा होगा, पूछने पर भारत के टी20 उप कप्तान ने तथ्यात्मक प्रतिक्रिया दी।

अक्षर ने कहा, ‘‘बिलकुल, बदलाव का दौर आने ही वाला है। पर आखिर में यह चयनकर्ताओं और कप्तान का फैसला है। मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा काम मुझे सौंपी गई भूमिका को पूरा करने और खुद में लगातार सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना है। अगर मैं अच्छा प्रदर्शन करता हूं, तो टीम में मेरी जगह अपने आप बन जाएगी। ’’

वह मानते हैं कि वह सभी प्रारूपों के खिलाड़ी हैं, उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुद को बताता रहता हूं कि मैं सभी तीन प्रारूपों में खेल चुका हूं। मेरा ध्यान सिर्फ अच्छा प्रदर्शन करने पर है, जब भी मौका मिले। मेरा मानना है कि मुझे किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है, भले ही मैं चुना जाऊं या नहीं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह सोचकर दबाव नहीं लेता कि मैं टीम में जगह बनाने का हकदार हूं। यह हमेशा टीम संयोजन की बात होती है कि मेरी टीम में जगह है या नहीं। ’’

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम में जगह नहीं बना पाने से वह निराश नहीं थे बल्कि उन्होंने अपना ध्यान दक्षिण अफ्रीका में टी20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला पर लगाया जिस में वह सभी मैच खेले थे।

उन्होंने कहा, ‘‘जब चयन या ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला की बात आती है तो मुझे लगता है कि यह सोचने के बजाय कि मैं टीम में स्थान बनाने का हकदार हूं या नहीं, मैं इस बारे में सोचता हूं कि मुझे कहां मौका मिल सकता है। ’’

भाषा नमिता मोना

मोना