नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव ने मंगलवार को संस्था की अध्यक्ष पीटी उषा के खिलाफ उनकी छवि को ‘धूमिल’ करने के लिए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।
उषा ने एक गुमनाम शिकायत के आधार पर 10 सितंबर को यादव से स्पष्टीकरण मांगा था। यादव वर्तमान में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएलएफ) के अध्यक्ष भी हैं। इस गुमनाम शिकायत में आरोप लगाया गया है कि यादव और आईओए के कुछ अन्य अधिकारी राष्ट्रीय खेल संहिता में निर्धारित आयु और कार्यकाल दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर पद पर बने हुए हैं।
खेल संहिता के तहत किसी अधिकारी के लिए लगातार 12 वर्षों तक पद पर रहने के बाद पद छोड़ना अनिवार्य है। यादव भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के पूर्व सचिव भी रहे हैं और 15 वर्षों तक इसके बोर्ड में बने हुए हैं।
यादव ने 23 सितंबर को लिखे पत्र में उषा को कड़े शब्दों में कहा, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने इस तरह के आधारहीन और राजनीति से प्रेरित पत्र को यह जानते हुए भी महत्व दिया कि आईओए की कार्यकारी परिषद के चुनाव 2022 में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हुए थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप मेरे सहित कई पदाधिकारियों और कार्यकारी सदस्यों को भेजे गए अपने नोटिस को वापस ले लें। ऐसा न करने पर मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से और सार्वजनिक रूप से खेल मंत्रालय और आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) के समक्ष मेरी व्यक्तिगत छवि को बदनाम करने के लिए कानूनी सहारा लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।’’
यादव को लिखा उषा का पत्र खेल मंत्री मनसुख मांडविया और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को भी भेजा गया था।
यादव ने दावा किया कि उषा का उन्हें लिखा पत्र उन तक पहुंचने से पहले ही मीडिया और जनता के बीच लीक हो गया। उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘ इस पत्र से आईओए की छवि के साथ-साथ मेरी व्यक्तिगत सामाजिक छवि को इस देश के लोगों, सरकार और आईओसी की नजर में धूमिल किया गया है।’’
इस ताजा घटनाक्रम ने आईओए के भीतर चल रही गुटबाजी को और बढ़ा दिया है।
इस साल की शुरुआत से ही उषा का निकाय के कार्यकारी परिषद के सदस्यों के साथ विवाद चल रहा है। यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब उषा के द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर रघुराम अय्यर की नियुक्ति को आईओए कार्यकारी समिति के अधिकांश सदस्यों ने अमान्य घोषित कर दिया।
भाषा आनन्द पंत
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