नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति के अधिकार को बहाल कर दिया जिसमें मौजूदा स्वरूप में डब्ल्यूएफआई के कामकाज पर रोक लगाने और खेल के लिए राष्ट्रीय महासंघ के रूप में कोई भी गतिविधि करने से रोकने की मांग की गई थी।
शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि आईओए समिति का पुनर्गठन कर सकता है।
इन पहलवानों ने पिछले साल जंतर मंतर पर डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह पर सात महिला पहलवानों पर कथित यौन उत्पीड़न के आरोप पर गिरफ्तारी की मांग की थी। इस साल के शुरू में इन पहलवानों ने दिसंबर में महासंघ के पदाधिकारियों के चुनाव को रद्द करने और अवैध घोषित करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
बृज भूषण के वफादार संजय सिंह को 21 दिसंबर 2023 को हुए चुनावों में डब्ल्यूएफआई का नया प्रमुख चुना गया था।
अंतरिम राहत के लिए अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने डब्ल्यूएफआई के मौजूदा स्वरूप में कामकाज पर रोक लगाने और कुश्ती के खेल के लिए राष्ट्रीय महासंघ के रूप में कोई भी गतिविधि करने से रोकने की मांग की थी।
केंद्र ने चुनाव के तीन दिन बाद डब्ल्यूएफआई को कथित तौर पर फैसले लेत समय अपने खुद के संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए 24 दिसंबर 2023 को निलंबित कर दिया था और आईओए से इसका कामकाज देखने के लिए एक तदर्थ समिति गठित करने का अनुरोध किया था।
फरवरी में विश्व कुश्ती संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने निलंबन हटा लिया जिसके कारण आईओए ने मार्च में अपनी तदर्थ समिति को भी भंग कर दिया था।
शीर्ष पहलवानों की याचिका पर अदालत ने चार मार्च को केंद्र सरकार, डब्ल्यूएफआई और डब्ल्यूएफआई की तदर्थ समिति को नोटिस जारी किया था।
भाषा नमिता मोना
मोना