पेरिस में भारतीय हॉकी टीम का कांस्य पदक स्वर्ण से ज्यादा चमकदार: भास्करन

पेरिस में भारतीय हॉकी टीम का कांस्य पदक स्वर्ण से ज्यादा चमकदार: भास्करन

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  • Publish Date - August 22, 2024 / 10:32 PM IST,
    Updated On - August 22, 2024 / 10:32 PM IST

… आयुष गुप्ता …

चेन्नई, 22 अगस्त (भाषा) पूर्व कप्तान वासुदेवन भास्करन ने गुरुवार को कहा कि भारत ने पेरिस ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ हॉकी खेली और टीम का कांस्य पदक जीतना स्वर्ण पदक से ज्यादा चमकदार था।   भारत ने स्पेन को 2-1 से हराकर ओलंपिक में लगातार कांस्य पदक जीता। भास्करन ने मद्रास वीक कार्यक्रम के इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। हम रजत या स्वर्ण पदक से चूक गए, लेकिन ऐसा होता है। भारत ने सर्वश्रेष्ठ हॉकी खेली।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस टीम के प्रदर्शन को स्वर्ण से बेहतर आंकूंगा। अगर प्लैटिनम पदक (स्वर्ण पदक से भी बेहतर) है तो टीम इसकी हकदार है। भारतीय टीम ने शुरुआती मैच से ही अच्छा प्रदर्शन किया और लगातार बेहतरीन हॉकी खेली।’’ मास्को ओलंपिक (1980) के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी ने कहा कि वह टीम के दबाव झेलने की क्षमता से बेहद प्रभावित है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक मैच (ब्रिटेन के खिलाफ) 10 खिलाड़ियों के साथ भी खेला था। ऐसे हमें इन परिस्थितियों से निपटने में निश्चित रूप से टीम और प्रबंधन को श्रेय देना चाहिए।’’ भास्करन ने मुख्य कोच क्रेग फुल्टन की रक्षात्मक रणनीति की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘वह (फुल्टन) पिछले दो वर्षों से सफलतापूर्वक टीम की कमान संभाल रहे हैं। उनकी रक्षात्मक प्रणाली अच्छी रही है। यह आक्रामक रणनीति की तरह दिखता है।’’ भास्करन ने कहा, ‘‘कोच से अधिक खिलाड़ियों को श्रेय देना चाहिये। कोच योजना बनाता है, जबकि क्रियान्वयन खिलाड़ियों को करना होता है।’’ अनुभवी भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश ओलंपिक के बाद संन्यास ले लिया। भास्करन ने विश्वास जताते हुए कहा कि युवा खिलाड़ी उनकी जगह की भरपाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक दिन सभी को खेल को अलविदा कहना है। किसी को उसकी जगह लेनी है। क्या एमएस धोनी के संन्यास के बाद भारतीय टीम विश्व कप नहीं जीता?’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए खेल में संन्यास के बारे में सोचना व्यर्थ है, लेकिन हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि उन्हें (युवा खिलाड़ियों को) कैसे आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि खेल में कोई भी अपराजेय नहीं है।’’ भाषा आनन्द नमितानमिता