टीम के बलिदानों को मिला सम्मान है एफआईएच पुरस्कार : भारतीय हॉकी टीम के कोच रीड ने कहा

टीम के बलिदानों को मिला सम्मान है एफआईएच पुरस्कार : भारतीय हॉकी टीम के कोच रीड ने कहा

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  • Publish Date - October 7, 2021 / 04:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर ( भाषा ) भारतीय पुरूष हॉकी टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड ने एफआईएच सालाना पुरस्कारों से जुड़े विवाद में पड़ने से बचते हुए कहा कि उन्हें और उनके खिलाड़ियों को पिछले डेढ साल के बलिदानों के कारण यह पुरस्कार मिले हैं ।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के सारे पुस्कार मतदान के आधार पर जीत लिये ।पुरूष ओलंपिक चैम्पियन बेल्जियम ने इसकी आलोचना की थी जिसके बाद एफआईएच को कहना पड़ा कि वह पता लगाने की कोशिश करेगा कि कुछ महासंघों ने मतदान क्यो नहीं किया ।

भारत के पांच खिलाड़ियों और महिला तथा पुरूष टीम के कोचों को सर्वाधिक वोट मिलने के कारण पुरस्कार मिले ।भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने 41 साल बाद तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता जबकि महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी ।

विवाद के बारे में पूछने पर रीड ने कहा ,‘‘ कोचों औरर खिलाड़ियों का इससे कोई सरोकार नहीं है कि चयन कैसे होता है या क्या व्यवस्था है ।यह टीम के और सहयोगी स्टाफ के प्रयासों को मिला सम्मान है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ इसके पीछे काफी मेहनत है ।मैं इसे पिछले डेढ साल में हमारे बलिदानों को मिला सम्मान मानता हूं । मैने अपने बच्चों को दो साल से नहीं देखा है । यह भारत में हॉकी की अहमियत भी बताता है । विश्व हॉकी के लिये यह अच्छी बात है ।’’

रीड ने इस पर भी टिप्पणी से इनकार कर दिया कि भारत को बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेना चाहिये था या नहीं ।

उन्होंने कहा ,‘‘ हमें 24 दिसंबर से एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी खेलनी है ।अगले साल एफआईएच प्रो लीग है और उसके बाद एशियाई खेल भी जो ओलंपिक क्वालीफिकेशन के लिये अहम है । उम्मीद है कि हमारे पास तैयारी के लिये समय होगा । विश्व कप भी खेलना है । आने वाले 16 से 18 महीने काफी व्यस्त हैं ।’’

कोच ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने वाले रूपिंदर पाल सिंह, बीरेंद्र लाकड़ा और एस वी सुनील की तारीफ करते हुए कहा ,‘‘ ओलंपिक के बाद यह सामान्य बात है ।युवाओं को मौका देना जरूरी है । इन तीनों को संन्यास की घोषणा करते देखकर अच्छा लगा और यह भी सुखद था कि सभी ने इसकी कितनी तारीफ की ।’’

भाषा मोना नमिता

नमिता