ब्रिस्बेन, 16 दिसंबर (भाषा) आस्ट्रेलिया के हरफनमौला मिशेल मार्श ने सोमवार को स्वीकार किया कि वह क्षेत्ररक्षण के दौरान गली क्षेत्र में खड़े रहने के दौरान काफी नर्वस (घबराहट होना) रहते हैं क्योंकि इस स्थान पर कैमरून ग्रीन ने टीम के लिए शानदार काम किया है।
ग्रीन रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण मौजूदा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में नहीं खेल रहे हैं। मार्श ने गली क्षेत्र में शानदार क्षेत्ररक्षण के साथ उनकी कमी को महसूस नहीं होने दिया। उन्होंने यहां तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन सोमवार को मिचेल स्टार्क की गेंद पर भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल का हवा में छलांग लगाकर शानदार कैच लपका।
मार्श ने दिन के खेल के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि जब से मैं टेस्ट टीम में वापस आया हूं, गली में क्षेत्ररक्षण करते समय मैं सबसे अधिक घबराहट महसूस करता हूं। इस स्थान के लिए ग्रीन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक है। आप उस स्थान अगर कोई कैच टपका देंगे तो आपकी तुलना ग्रीन से की जायेगी। ’’
मार्श ने कहा, ‘‘ मैं खेल के दौरान किसी भी समय ऐसा कर सकता हूं। ईमानदारी से कहूं तो शायद मुझे डाइव लगाने की जरूरत भी नहीं थी लेकिन मैंने सोचा कि थोड़ा सा समय है तो यह मजेदार होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे वहां क्षेत्ररक्षण करना पसंद है, लेकिन स्क्वायर लेग पर होना भी उतना ही अच्छा है।’’
मार्श ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में 445 रन बनने से खुश हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है बल्लेबाजी का न्योता मिलने के बाद अगर आप 450 रन के आस पास स्कोर खड़ा करते हैं तो यह हमेशा सकारात्मक होता है। ऐसे में टीम के पास खासकर नयी गेंद से आक्रामक रूख अख्तियार करने का मौका होता है। इस मैच में हमारी कोशिश 20 विकेट लेने की है। हम और छह विकेट लेकर आगे की रणनीति के बारे में सोचेंगे।
ऑस्ट्रेलिया के 445 रन के जवाब में भारतीय टीम बारिश से प्रभावित मैच के तीसरे दिन 51 रन पर चार विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही है।
मार्श ने भारत को फॉलोऑन करने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ इस तरह का मौका बनाने के लिए हमें और छह विकेट जल्दी लेने होंगे। लेकिन हम जानते हैं कि इस टेस्ट को जीतने के लिए हमें 20 विकेट लेने होंगे और मुझे लगता है कि सारी बातचीत और सारी योजना इस बात पर होगी कि हम यह कैसे करें…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ उम्मीद है कि मौसम सही रहेगा और फिर कल से पिच में अधिक दरार होगी। हम देखेंगे क्या कर सकते हैं।’’
भाषा आनन्द पंत
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