… जी उन्नीकृष्णन …
बेंगलुरु, 13 दिसंबर (भाषा) डी गुकेश के साथ काम करने वाले मशहूर मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अपटन ने कहा कि 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर की ‘अविश्वसनीय आत्म-जागरूकता’ ने उन्हें ऐतिहासिक विश्व शतरंज चैम्पियनशिप खिताब तक पहुंचाया। गुकेश बृहस्पतिवार को सिंगापुर में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराकर अब तक के सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए अपटन ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि गुकेश के साथ काम करने की सबसे आकर्षक बात उनकी आत्म-जागरूकता का स्तर था। मेरी कोशिश यह परखने की थी कि वह अपने विचारों पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। शतरंज की बिसात पर जरूरत से ज्यादा सोचते समय भी उन्होंने परिपक्व जागरूकता दिखायी। अगर उनका दिमाग भटका भी तो उन्होंने ने तुरंत काबू पा लिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उसे बधाई, वह शुरुआत में 0-1 से पिछड़ने के बावजूद वह एक विश्व चैंपियन है क्योंकि वह खुद को प्रबंधित करने, ध्यान केंद्रित करने और खेल में बने रहने में सक्षम था। इतने बड़े आयोजन में शुरुआती झटके से उबरना आसान नहीं है।’’ अपटन ने गुकेश से कहा था कि सभी 14 बाजियों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘ एक चीज जो मैंने वास्तव में गुकेश में अच्छे से समझायी, वह यह है कि जब एथलीट अपने जीवन के सबसे बड़े खेल के करीब पहुंचता है तो उसकी सबसे बड़ी गलती यह होती है कि वह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए अपना पूरा जोर लगाने में गलती कर बैठते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ खिलाड़ी बड़े क्षणों में अत्यधिक प्रयास करते हैं। गुकेश के साथ बात में मेरी जिम्मेदारी सिर्फ उसे अपना स्वाभाविक सर्वश्रेष्ठ शतरंज खेलने के लिए प्रेरित करने की थी। उससे यह समझाना था कि इससे परिणाम काफी अच्छे मिलेंगे।’’ गुकेश और अपटन के सामने सबसे बड़ी चुनौती तीन सप्ताह की गहन और थका देने वाली शतरंज के दौरान मानसिक मजबूती बनाए रखना थी। अपटन और गुकेश के पास हालांकि इसकी योजना थी। उन्होंने कहा, ‘‘ हम हमेशा से जानते थे कि यह तीन सप्ताह का मामला होगा। यह एक उतार-चढाव वाला मुकाबला होगा। यह लंबा और निरंतर चलने वाला था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एक बहुत स्पष्ट रणनीति थी। टूर्नामेंट से लगभग तीन सप्ताह पहले, हमने कोई भी नया काम करना बंद कर दिया था। मैंने उससे कहा, अब समय आ गया है कि हम बस वहीं करें जो हम पहले ही कर चुके हैं।’’ अपटन ने कहा, ‘‘ मैंने गुकेश को 18 दिनों का मानसिक रणनीति का सारांश दिया था। उन्हें और उनकी टीम को श्रेय दिया जाना चाहिये कि वे इसे क्रियान्वित करने में सक्षम थे।’’ गुकेश ने भी चैम्पियन बनने के बाद अपटन के योगदान की प्रशंसा की थी। गुकेश ने खिताबी जीत के बाद कहा था, ‘‘12वें मैच के बाद मैं ठीक से सो नहीं पा रहा था। मैंने पैडी से बात की और मैंने कुछ बदलाव किए। उसके बाद, मैंने पिछले दो दिनों में कम से कम आठ घंटे अच्छी नींद ली। इसलिए मैं मुकाबलों में तरोताजा था। नींद बहुत महत्वपूर्ण है और मैंने बदलावों का सुझाव देने के लिए पैडी को धन्यवाद दिया। ’’ भाषा आनन्द नमितानमिता