सिंगापुर, 13 दिसंबर (भाषा ) रात भर जागने के बाद उनकी आंखें दर्द कर रही थीं लेकिन डी गुकेश ने लगातार कई कार्यक्रमों में भाग लिया और सैकड़ों ऑटोग्राफ देने के बाद विश्व शतरंज चैंपियनशिप की ट्रॉफी अपने हाथों में ली।
चेन्नई के 18 वर्षीय गुकेश ने बृहस्पतिवार को चीन के गत चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत के साथ 18वें और वह पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय बन गए।
इस खिताब को जीतने वाले गुकेश को 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 11.03 करोड़ रुपये) की भारी भरकम राशि मिली। अगली सुबह की शुरुआत ट्रॉफी की एक झलक पाने से हुई, जिसे उन्होंने छूने से इनकार कर दिया क्योंकि वे शाम को समापन समारोह तक इंतजार करना चाहते थे।
चेन्नई के 18 वर्ष के ग्रैंडमास्टर गुकेश चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे युवा विश्व चैम्पियन बने । चैम्पियनशिप का आखिरी मुकाबला करीब तीन सप्ताह तक चला ।
फिडे (अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ) के अध्यक्ष अर्काडी ड्वोर्कोविच द्वारा ट्रॉफी दिए जाने के बाद उन्होंने आखिरकार ट्रॉफी को अपने हाथों में लिया।
उनके परिचय में फिडे प्रस्तुतकर्ताओं ने उनके ‘शानदार संतुलन’ और ‘बेहतरीन प्रदर्शन’ के बारे में बात की जो उन्होंने एक बड़े और अधिक अनुभवी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ किया।
गुकेश ने शीर्ष पदक और पुरस्कार राशि मिलने के बाद कहा, ‘‘यह क्षण ऐसा लग रहा है जैसे मैंने इसे लाखों बार जी लिया है। हर सुबह जब मैं जागता था तो यह पल ही मेरे जागने का कारण होता था। इस ट्रॉफी को थामना और यह वास्तविकता मेरे जीवन में किसी भी चीज से ज्यादा मायने रखती है। ’’
इससे पहले वह अपने प्रशंसकों से मिलने और उनका अभिवादन करने के लिए बैठ गए जिसमें युवा, बूढ़े और छोटे बच्चे शामिल थे। कतार में खड़े लोगों में न केवल भारतीय प्रवासी शामिल थे बल्कि सिंगापुर के स्थानीय लोग भी थे जो शतरंज के बोर्ड लेकर आए थे और गुकेश का हस्ताक्षर चाहते थे।
युवा खिलाड़ी ने स्वीकार किया कि नींद की कमी के कारण उनकी आंखें जल रही थीं, लेकिन उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था।
उन्होंने फिडे समापन समारोह में कहा, ‘‘यह यात्रा किसी सपने से कम नहीं रही। इसमें कई उतार-चढ़ाव आए, कई चुनौतियां आईं, लेकिन मैं इसमें एक भी बदलाव नहीं करना चाहता क्योंकि यह मेरे साथ रहे लोगों की वजह से खूबसूरत रहे। ’’
उन्होंने चुनौती देने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रति, उनके माता-पिता के प्रति, उनकी टीम, मेजबान देश और पिछले तीन हफ्तों में मिले कई नए प्रशंसकों तथा भगवान के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मुझे समाधान नहीं दिख रहा था तो भगवान मुझे बचा सकते थे और रास्ता दिखा सकते थे। ’’
बृहस्पतिवार को लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बावजूद उन्होंने मीडिया से बातचीत की।
भाषा नमिता आनन्द
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