जमीनी स्तर पर विकास, शासन, पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण 2036 से पहले प्रमुख मुद्दे: मांडविया

जमीनी स्तर पर विकास, शासन, पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण 2036 से पहले प्रमुख मुद्दे: मांडविया

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  • Publish Date - December 10, 2024 / 07:22 PM IST,
    Updated On - December 10, 2024 / 07:22 PM IST

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को यहां कहा कि भारत को 2036 तक अगर एक मजबूत खेल शक्ति के रूप में उभरना है तो उसे जमीनी स्तर पर विकास के सिद्धांतों को अपनाते हुए प्रतिभा पोषण के लिए श्रेणीबद्ध शासन प्रणाली तैयार करनी होगी।

खेल मंत्री ने इसके साथ ही युवाओं को पेशेवर खिलाड़ी बनाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर भी जोर दिया।

 मांडविया वर्तमान में 2036 ओलंपिक खेलों तक भारत को एक खेल महाशक्ति के रूप में उभरने के लिए मंच तैयार करने के लिए एक त्रि-आयामी रणनीति को आकार दे रहे हैं। भारत ने 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को ‘आशय पत्र’ प्रस्तुत किया है।

मांडविया ने पीटीआई से खास बातचीत में कहा, ‘‘खेलों को आगे ले जाने के लिए खेल विकास, खेल प्रशासन और खेल पारिस्थितिकी तंत्र जरूरी है। अगर हम इन तीन चीजों को एक साथ लगाएंगे, तभी देश में खेल समृद्ध हो सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खेल विकास के तहत हमें प्रतिभा को पहचानना होगा। हमारे देश में इसकी कोई कमी नहीं है। हम ‘खेलो इंडिया स्कूल खेलों’ से शुरुआत करेंगे जहां प्रतिभाओं को पहचाना जायेगा।  फिर इस प्रतिभा को निखारने की जरूरत होगी।’’

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘ मान लीजिए किसी जिले में हमें 100 बच्चे मिलते हैं तो वे अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए जिला स्तर के खेल स्कूलों, निजी या सरकारी, छात्रावासों या खेल के मैदानों में जाएंगे। ऐसा सभी जिलों में होगा।’’

 मंत्री ने कहा कि प्रतिभा को निखारने के लिए अच्छे प्रशिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा, जिसके बाद खिलाड़ी ‘खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों’ में भाग लेंगे, जहां सर्वश्रेष्ठ की पहचान की जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ ये खिलाड़ी इसके बाद ‘खेलो इंडिया युवा खेलों (केआईवाईजी)’ का हिस्सा बनेंगे।  हम खिलाड़ियों के विकास के लिए संबंधित महासंघ को भरोसे में रखेंगे। लेकिन हम पूरी तरह से महासंघों पर निर्भर नहीं रहेंगे। हमें प्रतिभा को पहचानना होगा और उसे 2036 के लिए तैयार करना होगा।’’

मांडविया ने कहा कि देश में खेल बुनियादी ढांचे की कोई कमी नहीं है और मंत्रालय उनका सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए ‘विश्लेषण’ कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास खेल के बुनियादी ढांचे की कोई कमी नहीं है। राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, राष्ट्रीय महासंघों, निजी क्षेत्र, केंद्र सरकार के पास यह है। इन सभी खेल बुनियादी ढांचे का विश्लेषण कर इसका बेहतर उपयोग करने पर ध्यान दिया जायेगा। हमने इस पर काम शुरू कर दिया है और जल्द ही इसका लेखा-जोखा हमारे पास होगा। हम खेल के बुनियादी ढांचे में कमियों की भी पहचान करेंगे।’’

मांडविया ने कहा, ‘‘स्कूलों और कॉलेजों को खेलों के बारे में अधिक चर्चा करनी चाहिए, और इसके लिए भारत में अधिक अंतरराष्ट्रीय आयोजन होने चाहिए। इसमें 2036 में ओलंपिक को भारत में लाने का प्रयास भी शामिल है । हम इन सभी मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं और चीजें बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं।’’

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर