गाबा विशेष था लेकिन वापसी पर टेस्ट शतक भी उतना ही खास: पंत के कोच देवेंद्र

गाबा विशेष था लेकिन वापसी पर टेस्ट शतक भी उतना ही खास: पंत के कोच देवेंद्र

  •  
  • Publish Date - September 21, 2024 / 08:46 PM IST,
    Updated On - September 21, 2024 / 08:46 PM IST

(तस्वीरों के साथ) … कुशान सरकार …

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा)  ऋषभ पंत ने जब भारतीय टेस्ट टीम में अपनी बहुप्रतीक्षित वापसी से पहले कोच देवेंद्र शर्मा को फोन किया तो इस आक्रामक और जज्बे से भरे बल्लेबाज को एक सलाह मिली कि ‘सिर नीचे कर के खेलना’।  कोच की इस बात का मतलब अच्छी गेंदों को सम्मान देने के साथ सावधानी बरतने के बारे में था।         पंत टेस्ट टीम में वापसी पर शानदार शतक लगाकर खुद को टीम के सबसे अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करने में सफल रहे हैं। बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के तीसरे दिन के खेल के बाद पंत के कोच देवेंद्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ जाहिर तौर पर मैं ऋषभ के लिए बहुत खुश हूं। उनके पास पहली पारी में भी शतक बनाने का मौका था लेकिन उनके ऐसा नहीं करने से मैं थोड़ा दुखी था।’’ कोच ने कहा, ‘‘ आज उन्होंने प्रवाहमय बल्लेबाजी की। यह शतक उनके लिए एक महत्वपूर्ण है क्योंकि वापसी के बाद यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय शतक है।’’ पंत का यह छठा टेस्ट शतक है। उन्होंने इस पारी से महान महेंद्र सिंह धोनी की बराबरी कर ली। धोनी ने जहां 90 टेस्ट में छह शतक लगाये वहीं पंत ने महज 34 टेस्ट मैचों में यह आंकड़ा छू लिया। पंत छह से ज्यादा बार 90 रन के आंकड़े को पार करने के बाद आउट हुए हैं। दिल्ली के सोनेट क्लब में कोचिंग देने वाले देवेंद्र ने कहा, ‘‘ गाबा में श्रृंखला जीतने वाली पारी हर किसी के लिए हमेशा खास रहेगी लेकिन एक कोच के तौर पर मुझसे इस पारी के बारे में पूछा जाए, तो यह अमूल्य है और इससे अधिक उपयुक्त समय पर नहीं आ सकती थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक खिलाड़ी को आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है और सफेद गेंद की क्रिकेट में आप कितनी भी उपलब्धि हासिल करे, टेस्ट मैचों की आपकी उपलब्धियों को हमेशा ज्यादा तवज्जो दी जाती है।’’ दिल्ली के पूर्व विकेटकीपर देवेंदर ने कहा, ‘‘ पंत को सड़क दुर्घटना के बाद और जिस तरह के रिहैबिलिटेशन से गुजरना पड़ा उसे देखते हुए यह पारी गाबा की तरह की खास है।’’ देवेंद्र ने कहा, ‘‘ भारत के व्यस्त टेस्ट सत्र की शुरुआत में इस शतक से उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ेगा।’’ भाषा आनन्द पंतपंत