मसौदा विधेयक में खेल निकायों में महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व: मांडविया

मसौदा विधेयक में खेल निकायों में महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व: मांडविया

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  • Publish Date - October 14, 2024 / 08:12 PM IST,
    Updated On - October 14, 2024 / 08:12 PM IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) सरकार द्वारा हाल ही में तैयार किये गये राष्ट्रीय खेल विधेयक के मसौदे में लैंगिक समानता को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए), भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) और सभी राष्ट्रीय महासंघों में 30 प्रतिशत महिलाओं के प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया है। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को यह जानकारी दी।

मांडविया के अनुसार मसौदा विधेयक में यह भी प्रावधान है कि आईओए, पीसीआई और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) की आम सभा में मतदान करने वाले सदस्यों में से 10 प्रतिशत उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ी होंगे।

विधेयक का मसौदा 10 अक्टूबर को प्रसारित किया गया था, जिसमें पूर्व विधायी परामर्श प्रक्रिया के तहत आम जनता और हितधारकों से टिप्पणियां/सुझाव आमंत्रित किए गए थे।

मांडविया ने कहा कि मसौदा विधेयक का उद्देश्य भारत के उभरते खेल परिदृश्य के अनुरूप मौजूदा ढांचे का ‘आधुनिकीकरण और अपडेट’ करना है।

उन्होंने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा, ‘‘यह विधेयक कार्यकारी समितियों और अन्य शासी निकायों में लिंग प्रतिनिधित्व को अनिवार्य बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि इसमें कम से कम 30 प्रतिशत सदस्य महिलाएं हैं, जो लैंगिक समानता और खेलों में समावेशिता में वैश्विक रुझानों के अनुरूप है।’’

खेल मंत्री ने कहा, ‘‘विधेयक यह भी सुनिश्चित करता है कि एनओसी (राष्ट्रीय ओलंपिक समिति), एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति) और एनएसएफ के सामान्य निकाय में 10 प्रतिशत मतदान सदस्य ‘उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ी’ हों, जो एथलीट आयोग द्वारा चुने जाते हैं। इनमें से कम से कम दो प्रतिनिधियों (एक पुरुष और एक महिला) को कार्यकारी समिति में काम करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि विधेयक का मसौदा 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी की भारत की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

मसौदा विधेयक में अपीलीय खेल पंचाट की स्थापना के माध्यम से खेलों में शिकायतों के तेजी से समाधान का प्रावधान भी है। मांडविया ने कहा कि भारत की ओलंपिक मेजबानी की दावेदारी के लिए खेलों में ‘सुशासन’ महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक समर्पित अपीलीय खेल पंचाट भारत में खेल से संबंधित सभी विवादों की सुनवाई करेगा जिससे दीवानी अदालतों पर निर्भरता कम होगी और शिकायतों का तेजी से समाधान सुनिश्चित होगा। इससे अदालती मामलों की बहुलता कम हो जाएगी और एकल खिड़की प्रणाली होगी तथा विवादों का तेज, सस्ता और आसान समाधान उपलब्ध होगा।’’

मसौदा विधेयक के तहत जिन मामलों को अपीलीय खेल पंचाट को निर्धारित करने का अधिकार है उस पर किसी भी दीवानी अदालत के पास मुकदमे या कार्यवाही पर विचार करने का अधिकार नहीं होगा।

अपीलीय खेल पंचाट के फैसले पर हालांकि सर्वोच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र पूरी तरह से नहीं हटाया गया है।

मांडविया ने कहा कि यदि मसौदा विधेयक संसद द्वारा पारित हो जाता है तो यह उन राज्यों के लिए एक खाका के रूप में भी काम करेगा, जिन्होंने अभी तक अपनी खेल नीतियां स्थापित नहीं की हैं।

मसौदा विधेयक में भारतीय खेल नियामक बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है। यह एनएसएफ को मान्यता देने के साथ शासन, वित्तीय तथा नैतिक मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार केंद्रीय नियामक प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा।

मंत्री ने कहा, ‘‘इसमें देश में खेलों के प्रशासन को विनियमित करने में लचीलापन और स्वायत्तता होगी। एनएसएफ को कैसे मान्यता दी जाएगी, इसके लिए कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं दिया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एनएसएफ यह सुनिश्चित करेगा कि सभी घटक इकाइयां सुशासन प्रथाओं का पालन करें।  मान्यता प्राप्त निकायों को ओलंपिक चार्टर, पैरालंपिक चार्टर और संबंधित अंतरराष्ट्रीय महासंघों द्वारा स्थापित नियमों की तर्ज पर शासित किया जाएगा।’’

मसौदा विधेयक राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (एनओसी), राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (एनपीसी) और सभी एनएसएफ में एथलीट आयोगों के गठन को भी अनिवार्य बनाता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि खिलाड़ियों के पास अपनी चिंताओं को उठाने के साथ नीति निर्माण से जुड़े फैसले में अपनी बातों को रखने का एक मंच मिलेगा।

मांडविया ने कहा, ‘‘यह खिलाड़ी केंद्रित दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करेगा और देश को वैश्विक आयोजनों के लिए अधिक खिलाड़ी-अनुकूल बनायेगा।’’

उन्होंने कहा,‘‘हमारे पास खेलों में जबरदस्त संभावनाएं हैं, बशर्ते जमीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान की जाए। भारत में प्रवृत्ति बदल रही है, जिससे संकेत मिलता है कि खेलों दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। इसलिए 2021 में तैयार खेल नीति को मैंने  सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा है।’’

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर